दसवीं बोर्ड के छात्रों को CBSE ने दी बड़ी राहत, परीक्षा के लिए घटाया सिलेबस

संशोधित पाठ्यक्रम सीबीएसई की वेबसाइट पर उपलब्ध है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक कोरोना महामारी के मद्देनजर पूरे देश के शिक्षाविदों से सिलेबस में कटौती पर ठोस सुझाव आमंत्रित किए गए थे। इस विषय पर देश भर के 1500 से अधिक शिक्षाविदों ने अपने सुझाव भेजे हैं।

फाइल फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सीबीएसई ने 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा देने की तैयार में जुटे छात्रों को राहत देते हुए सामाजिक विज्ञान सिलेबस कम कर दिया है। सीबीएसई ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में छात्रों की सहूलियत के मद्देनजर सिलेबस में यह कटौती की है। रिवाइज्ड किया गया सिलेबस सीबीएसई की आधिकारिक वेबसाइट पर देखा जा सकता है।

सीबीएसई की 10वीं कक्षा में सामाजिक विज्ञान विषय के अंतर्गत इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। सीबीएसई 10वीं बोर्ड परीक्षा में सामाजिक विज्ञान का पेपर 27 मई को आयोजित किया जाएगा। सामाजिक विज्ञान थ्योरी के टॉपिक्स से छात्रों के लिए पांच यूनिट हटाई गई हैं।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष स्कूलों के कार्य दिवस काफी कम हो गए हैं। अधिकांश छात्रों को ऑनलाइन माध्यमों से ही शिक्षा प्रदान की गई है। ऐसे में अब स्वयं छात्र, अभिभावक और शिक्षक भी छात्रों के पाठ्यक्रम को कम किए जाने किए जाने के पक्षधर हैं।

इससे पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी कहा था कि कोरोना के कारण पूरे देश में उत्पन्न हुई असाधारण स्थिति को देखते हुए सीबीएसई को सलाह दी गई है कि वह अपने पाठ्यक्रम का पुनर्निधारण करे और सिलेबस को कम किया जाए। शिक्षा मंत्री द्वारा सिलेबस कम किए जाने का निर्देश देने के बाद सीबीएसई ने विभिन्न विषयों में 30 फीसदी तक सिलेबस घटाया था। हटाए गए पाठ्यक्रम अब होने वाली बोर्ड परीक्षाओं और आतंरिक मुल्यांकन के लिए निर्धारित विषयों का हिस्सा नहीं होंगे।

विद्यालय प्रमुख और अध्यापक विभिन्न विषय संयोजित करने के लिए छात्रों को घटाई गई विषय-वस्तु की भी व्याख्या करना सुनिश्चित करेंगे। संशोधित पाठ्यक्रम सीबीएसई की शैक्षणिक वेबसाइट पर उपलब्ध है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक कोरोना महामारी के मद्देनजर पूरे देश के शिक्षाविदों से सिलेबस में कटौती के विषय पर ठोस सुझाव आमंत्रित किए गए थे। इस विषय पर देश भर के 15 सौ से अधिक शिक्षाविदों ने अपने सुझाव भेजे हैं।

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