ऑनलाइन नहीं, पहले की तरह कागज-कलम से ही देनी होंगी सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं

सीबीएसई बोर्ड की अगले साल यानी 2021 में होने वाली परीक्षाएं ऑनलाइन नहीं होंगी। सीबीएसई ने साफ कर दिया है कि परीक्षाएं हमेशा की तरह कागज-कलम से ही लिखित रूप में होंगी। बोर्ड परीक्षाओं की तारीख अभी तय नहीं है।

फोटो : सोशल मीडिया
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आईएएनएस

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन यानी सीबीएसई, बोर्ड की परीक्षाएं ऑनलाइन नहीं होंगी। 2021 में होने वाली यह परीक्षाएं छात्रों को पहले की तरह ही कागज और पैन से ही लिखित देनी होगी। सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि बोर्ड परीक्षाओं को ऑनलाइन करवाने का कोई प्रस्ताव ही नहीं है। ये परीक्षाएं बीते वर्षों की तरह सामान्य लिखित रूप में ली जाएंगी। हालांकि परीक्षाओँ की तारीख अभी तय नहीं हुई है। सीबीएसई ने आधिकारिक जानकारी देते कहा, "2021 की बोर्ड परीक्षाएं सामान्य लिखित तरीके से होंगी न कि ऑनलाइन।"

शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, विद्यार्थियों की प्रगति एवं बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए परीक्षाओं का आयोजन बेहद जरूरी है। इस साल परीक्षाओं के आयोजन को लेकर छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं। अब तक कोविड के चलते देश भर के स्कूल कॉलेज पूरी तरह से नहीं खोले जा सके हैं। बोर्ड परीक्षाओं के रजिस्ट्रेशन से लेकर कक्षा संचालन तक सारे कार्य वर्चुअल या ऑनलाइन तरीके से संचालित हो रहे हैं।


इससे पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा, "लगातार स्कूल कॉलेज से दूर रह रहे छात्रों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई करना एक बड़ी चुनौती है। लेकिन इस चुनौती को अवसर में बदलने के लिए छात्रों को हमेशा तैयार रहना चाहिए।"

ऐसी तमाम संभावनाओं को देखते हुए कोविड महामारी के बीच समय पर परीक्षाओं के संचालन के लिए सरकार ने नई पहल की है। शिक्षा मंत्री ने परीक्षाओं के संचालन के पूर्व छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ त्रिस्तरीय संवाद की योजना बनाई है। शिक्षा मंत्री डॉ. निशंक तीन अलग-अलग तिथियों पर छात्रों, अभिभावकों शिक्षकों के साथ वेबिनार के जरिए सीधे संवाद करेंगे।

डॉ. निशंक ने कहा, "बेहतर संकल्प और इच्छाशक्ति के साथ पढ़ाई और समय पर रिजल्ट जारी करवाना सबसे बड़ी चुनौती है ताकि छात्रों का एक साल बर्बाद न हो। कोरोना नियमों पालन करते हुए इन परीक्षाओं के आयोजन से छात्रों की योग्यता, विश्वसनीयता और विश्व के किसी भी विश्वविद्यालय में प्रवेश की स्वीकार्यता और बेहतर भविष्य-निर्माण की संभावनाओं के द्वार खुलेंगे।"

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