सीडीएस चौहान के ‘खुलासे’ से कई सवाल खड़े हुए, संसद का विशेष सत्र तत्काल बुलाए सरकार: कांग्रेस

खड़गे ने कहा कि हम उनके दृढ़ साहस और बहादुरी को सलाम करते हैं। हालांकि, एक व्यापक रणनीतिक समीक्षा समय की मांग है। कांग्रेस पार्टी कारगिल समीक्षा समिति की तर्ज पर एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा हमारी रक्षा तैयारियों की व्यापक समीक्षा की मांग करती है।

जिला कांग्रेस कमेटियों (डीसीसी) के अध्यक्षों की बैठक को संबोधित करते हुए खड़गे
जिला कांग्रेस कमेटियों (डीसीसी) के अध्यक्षों की बैठक को संबोधित करते हुए खड़गे
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान के एक बयान का हवाला देते हुए केंद्र सरकार पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि सीडीएस के खुलासों से कई अहम सवाल खड़े होते हैं, जिनका जवाब देने के लिए सरकार को तत्काल संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए। खड़गे ने यह भी कहा कि कारगिल समीक्षा समिति की तर्ज पर एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा देश की मौजूदा रक्षा तैयारियों की व्यापक समीक्षा कराई जाए।

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने ब्लूमबर्ग के साथ साक्षात्कार में पाकिस्तान के साथ हालिया सैन्य संघर्ष में विमान के नुकसान की बात स्वीकार की है, लेकिन छह भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराने के इस्लामाबाद के दावे को बिल्कुल गलत बताया। चौहान ने ‘ब्लूमबर्ग टीवी’ को दिये साक्षात्कार में कहा कि यह पता लगाना अधिक महत्वपूर्ण है कि विमान का नुकसान क्यों हुआ, ताकि भारतीय सेना रणनीति में सुधार कर सके।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, "सिंगापुर में एक साक्षात्कार में सीडीएस द्वारा की गई टिप्पणियों के मद्देनजर, कुछ बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न हैं जिन्हें पूछे जाने की आवश्यकता है। ये तभी पूछे जा सकते हैं जब संसद का विशेष सत्र तत्काल बुलाया जाए।" उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया।

खड़गे ने कहा, "हमारी वायुसेना के पायलट दुश्मन से लड़ते हुए अपनी जान जोखिम में डाल रहे थे। हमें कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन हमारे पायलट सुरक्षित हैं। हम उनके दृढ़ साहस और बहादुरी को सलाम करते हैं। हालांकि, एक व्यापक रणनीतिक समीक्षा समय की मांग है।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी कारगिल समीक्षा समिति की तर्ज पर एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा हमारी रक्षा तैयारियों की व्यापक समीक्षा की मांग करती है।


खड़गे ने आगे कहा,

1. हमारे वायुसेना के पायलट दुश्मन से लड़ते हुए अपनी जान जोखिम में डाल रहे थे। हमें कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन हमारे पायलट सुरक्षित हैं। सीडीएस के साक्षात्कार के अनुसार, "हमने इसे बनाया, इसे ठीक किया, इसे सुधारा और फिर दो दिनों के बाद इसे फिर से लागू किया और अपने सभी जेट विमानों को फिर से उड़ाया, लंबी दूरी पर निशाना साधा"।

हम उनके दृढ़ साहस और बहादुरी को सलाम करते हैं। हालाँकि, एक व्यापक रणनीतिक समीक्षा समय की माँग है। कांग्रेस पार्टी कारगिल समीक्षा समिति की तर्ज पर एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा हमारी रक्षा तैयारियों की व्यापक समीक्षा की मांग करती है।

2. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने युद्ध विराम कराने के अपने दावे को फिर से दोहराया है। यह शिमला समझौते का सीधा अपमान है। ट्रंप के बार-बार के दावों और अमेरिकी वाणिज्य सचिव द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय में दायर हलफनामे को स्पष्ट करने के बजाय, प्रधानमंत्री मोदी चुनावी तूफान में हैं, हमारे सशस्त्र बलों की वीरता का व्यक्तिगत श्रेय ले रहे हैं, उनकी बहादुरी के पीछे छिप रहे हैं और सहमत संघर्षविराम की रूपरेखा को चकमा दे रहे हैं, जिसकी घोषणा विदेश सचिव ने ट्रंप के ट्वीट के बाद 10 तारीख को की थी। क्या भारत और पाकिस्तान अब फिर से एक हो गए हैं? संघर्ष विराम समझौते की शर्तें क्या हैं? 140 करोड़ देशभक्त भारतीयों को यह जानने का हक है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘29 जुलाई 1999 को, (तत्कालीन) वाजपेयी सरकार ने भारत के रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ के. सुब्रमण्यम, जिनके पुत्र अब हमारे विदेश मंत्री हैं, की अध्यक्षता में कारगिल समीक्षा समिति का गठन किया था। यह कारगिल युद्ध समाप्त होने के ठीक तीन दिन बाद की बात है।"

उन्होंने कहा कि इस समिति ने पांच महीने बाद अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी और 'फ़्रॉम सरप्राइज़ टू रेकनिंग' शीर्षक वाली रिपोर्ट को आवश्यक संशोधनों के बाद 23 फरवरी 2000 को संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखा गया। रमेश ने सवाल किया कि क्या अब सीडीएस ने सिंगापुर में जो खुलासा किया है, उसके आलोक में मोदी सरकार भी वैसा ही कदम उठाएगी?


कांग्रेस नेता ने एक अन्य पोस्ट में दावा किया, "11वर्षों से जारी अघोषित आपातकाल पर यह एक असाधारण स्थिति है कि प्रधानमंत्री न तो सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करते हैं, न ही संसद को भरोसे में लेते हैं - लेकिन देश को ऑपरेशन सिंदूर के पहले चरण की जानकारी सिंगापुर में दिए गए सीडीएस के साक्षात्कार के जरिए मिलती है।" उन्होंने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री विपक्षी नेताओं को पहले ही विश्वास में नहीं ले सकते थे?

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