सरकार ने खारिज की विपक्ष की विशेष सत्र बुलाने की मांग, 21 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा संसद का मॉनसून सत्र

रीजीजू ने विपक्ष की विशेष सत्र बुलाने की मांग के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मॉनसून सत्र में नियमों के तहत सभी मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

केंद्र की मोदी सरकार ने विपक्ष की विशेष सत्र बुलाने की मांग खारिज कर दी है। संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक आयोजित किया जाएगा। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बुधवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति ने इन तारीखों की सिफारिश की है।

रीजीजू ने विपक्ष की विशेष सत्र बुलाने की मांग के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मॉनसून सत्र में नियमों के तहत सभी मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है। इससे साफ हो गया कि विपक्ष द्वारा विशेष सत्र बुलाने की मांग को सरकार ने खारिज कर दिया है।

रीजीजू ने मॉनसून सत्र की घोषणा ऐसे समय में की है जब विपक्षी दलों के नेता ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करने के लिए सरकार से विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं।


'विशेष बैठक की मांग से बचने के लिए मानसून सत्र का ऐलान'

सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, आमतौर पर संसद सत्र की तारीखों की घोषणा कुछ दिन पहले की जाती है। लेकिन इस बार सत्र शुरू होने से 47 दिन पहले ही तारीखों का ऐलान कर दिया गया- ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। यह निर्णय मोदी सरकार ने केवल इसलिए लिया है ताकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और इंडिया गठबंधन द्वारा बार-बार उठाई जा रही तत्काल विशेष बैठक की मांग से बचा जा सके।

जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस सहित इंडिया ब्लॉक के विभिन्न दलों ने संसद की एक तत्काल बैठक बुलाकर निम्नलिखित राष्ट्रीय महत्व के गंभीर मुद्दों पर चर्चा की आवश्यकता जताई है।

पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमलों के लिए जिम्मेवार आतंकवादियों को अब तक न्याय के कटघरे में लाने में विफलता।

ऑपरेशन सिंदूर के प्रभाव और उसके बाद उत्पन्न हालात।

ऑपरेशन सिंदूर का स्पष्ट राजनीतिकरण।

सिंगापुर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) द्वारा किए गए अहम खुलासे।

भारत को पाकिस्तान के साथ एक ही श्रेणी में रखे जाने की गंभीर और चिंताजनक कूटनीतिक स्थिति।

पाकिस्तान की वायुसेना में चीन की गहरी और खतरनाक घुसपैठ के स्पष्ट प्रमाण।

राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता को लेकर बार-बार किए जा रहे दावे।

विदेश नीति और कूटनीतिक स्तर पर सरकार की लगातार होती विफलताएं।

मानसून सत्र के दौरान भी ये तमाम मुद्दे, जो राष्ट्रहित में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, चर्चा के केंद्र में रहेंगे। प्रधानमंत्री ने भले ही विशेष सत्र से खुद को अलग रखा हो, लेकिन छह सप्ताह बाद उन्हें इन कठिन सवालों का जवाब देना ही होगा।


इससे पहले गुरुवार को इंडिया गठबंधन की बैठक हुई थी। इस बैठक में शामिल 16 दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। बैठक खत्म होने के बाद इस संबंध में कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने जाकारी दी थी।

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद कांग्रेस पार्टी और विपक्षी दलों ने सरकार को जवाबी कार्रवाई करने के लिए अपना पूरा समर्थन दिया था। हमारी मांग थी कि एक विशेष संसद सत्र बुलाया जाए, जिसके माध्यम से हम हमारी सेनाओं का धन्यवाद कर सकें और सरकार इस पूरे मामले पर अपनी बात रख सके। दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हम चाहते थे सरकार 'ऑपरेशन सिंदूर' से लेकर अमेरिका द्वारा सीजफायर की घोषणा, पाकिस्तान को वैश्विक तौर पर अलग करने और आतंकवाद को जड़ से खत्म करने जैसे तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखें और रणनीतिक चर्चा करें।

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Published: 04 Jun 2025, 3:33 PM