लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जीएसटी में आ सकता है पेट्रोल-डीज़ल, लेकिन राज्य वसूलते रहेंगे वैट जैसे टैक्स

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से ऐन पहले पेट्रोल और डीज़ल को जीएसटी के दायरे में ला सकती है। लेकिन यह शुद्ध जीएसटी नहीं होगा, बल्कि इस पर वैट या स्थानीय कर भी लगेंगे, और इससे तेल की कीमतों में बेहद मामूली फर्क पड़ेगा।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक लोकसभा चुनाव से पहले जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला वित्तीय न होकर राजनीतिक होगा, जिसे चुनाव में भुनाने की कोशिश भी की जाएगी। एक अधिकारी के हवाले से एजेंसी ने खबर दी है कि पेट्रोल डीज़ल पर जीएसटी का अधिकतम स्लैब यानी 28 फीसदी का स्लैब लागू हो सकता है। लेकिन राज्य सरकारें इस पर लोकल सेल्स टैक्स या वैट यानी वैल्यू एडेड टैक्स भी लग सकती हैं। तेल पर अधिकतम रेट के जीएसटी के साथ ही वैट मौजूदा दरों के समान ही हो सकता है। फिलहाल तेल पर एक्साइज ड्यूटी और वैट लगता है। एक्साइज ड्यूटी केंद्र द्वारा और वैट की वसूली राज्यों के द्वारा की जाता है।

अधिकारी का कहना है कि पेट्रोल और डीज़ल को जीएसटी के तहत लाने से पहले केंद्र को फैसला करना है। उसे तय करना होगा कि क्या वह जीएसटी से पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस, जेट फ्यूल और कच्चे तेल को बाहर रखने के बाद बने 20 हजार करोड़ रुपए के इनपुट टैक्स क्रेडिट को छोड़ने के लिए तैयार है या नहीं।

जीएसटी लागू करने की प्रक्रिया से इस अधिकारी ने कहा, "पेट्रोल और डीजल पर दुनिया में कहीं भी प्योर जीएसटी नहीं है और इसलिए भारत में भी यह जीएसटी और वैट का कॉम्बिनेशन ही होगा।" उन्होंने कहा, "पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी में शामिल करने का समय राजनीतिक तौर पर अहम होगा, और इसका फैसला केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर लेना होगा।"

फिलहाल केंद्र सरकार पेट्रोल पर 19.48 रुपए और डीजल पर 15.33 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूलती है। जबकि राज्य सरकारें वैट वसूलती हैं। अंडमान निकोबार दीप समूह में सबसे टैक्स है, वहां दोनों ही ईंधन पर 6 फीसदी बिक्रीकर वसूला जाता है। वहीं मुंबई में पेट्रोल पर सबसे ज्यादा 39.12 फीसदी वैट वसूला जाता है और तेलंगाना में डीजल पर सबसे ज्यादा 26 फीसदी वैट है। दिल्ली में पेट्रोल पर 27 फीसदी और डीजल पर 17.24 फीसदी वैट लगता है। इस तरह पेट्रोल पर 45 से 50 प्रतिशत और डीजल पर 35 से 40 प्रतिशत तक टैक्स वसूला जाता है।

अधिकारी के मुताबिक किसी खास वस्तु और सर्विस पर टैक्स उसी स्तर पर है, जो 1 जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू होने से पहले केंद्र और राज्यों द्वारा मिलकर वसूल किया जाता था। ऐसा जीएसटी को 4 टैक्स स्लैब्स 5, 12, 18 और 28 फीसदी में से एक में डालकर किया गया था। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर मौजूदा टैक्स पहले ही पीक रेट यानी सर्वाधिक दर से ज्यादा हो चुका है और अगर टैक्स रेट महज 28 फीसदी रहता है तो इससे केंद्र और राज्यों दोनों को भारी नुकसान होगा।

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