मोदी ने अडानी के लिए सीमा सुरक्षा नियमों को बदला, BJP का छद्म राष्ट्रवादी चेहरा फिर बेनकाबः खड़गे

खड़गे ने पीएम मोदी से पूछा कि क्या यह सच है कि आपने सीमा सुरक्षा नियमों में ढील देकर अपने 'प्रिय मित्र' को पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बहुमूल्य रणनीतिक भूमि उपहार में दे दी है?

मोदी ने अडानी के लिए सीमा सुरक्षा नियमों को बदला, BJP का छद्म राष्ट्रवादी चेहरा फिर बेनकाबः खड़गे
मोदी ने अडानी के लिए सीमा सुरक्षा नियमों को बदला, BJP का छद्म राष्ट्रवादी चेहरा फिर बेनकाबः खड़गे
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लाकार्जुन खड़गे ने आज आई मीडिया की उस रिपोर्ट पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है जिसमें दावा किया गया है कि पीएम मोदी ने गुजरात के कच्छ में बन रहे अडानी के एनर्जी पार्क के लिए सीमा सुरक्षा के नियमों को बदल दिया। खड़गे ने कहा कि बीजेपी का छद्म राष्ट्रवादी चेहरा एक बार फिर बेनकाब हो गया है। खड़गे ने कहा कि आपने निजी अरबपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए हमारी सीमाओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने अडानी के लिए नियमों को ताक पर रखकर देश की सुरक्षा को खतरे में डालने की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पीएम मोदी से कई सवालों के जवाब भी मांगे हैं। उन्होंने पूछा कि क्या यह सच है कि आपने सीमा सुरक्षा नियमों में ढील देकर अपने 'प्रिय मित्र' को पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बहुमूल्य रणनीतिक भूमि उपहार में दे दी है?


खड़गे ने आगे पूछा कि क्या यह सच नहीं है कि आपकी सरकार ने न केवल भारत-पाकिस्तान सीमा पर, बल्कि बांग्लादेश, चीन, म्यांमार और नेपाल से सटी भूमि पर भी ऐसे नियमों में ढील दी है, जिससे हमारी सामरिक और सीमा सुरक्षा खतरे में पड़ गई है? याद कीजिए, यह आप ही थे जिन्होंने कहा था कि "कोई भी हमारी सीमा में नहीं घुसा" जब देश के 20 बहादुरों ने लद्दाख में चीन से लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था!

खड़गे ने अगला सवाल किया कि क्या होगा यदि माइंस बिछाने, टैंक रोधी और कार्मिक रोधी तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता हो? आक्रामक और रक्षात्मक अभियानों में स्पेस और सरप्राइज की अवधारणा के बारे में क्या? यह एक वरिष्ठ सेना अधिकारी ने पूछा है। हम वही सवाल दोहराते हैं।

खड़गे ने कहा कि आप भारत-पाकिस्तान सीमा के आसान मारक दूरी के भीतर एक विशाल निजी परियोजना की अनुमति क्यों देंगे, जिससे हमारे सशस्त्र बलों की रक्षा जिम्मेदारियाँ बढ़ेंगी और उनके सामरिक लाभ कम होंगे?

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