Chhath Puja: जानें वे 7 फल जो छठी मइया को हैं सबसे प्रिय, इनके बिना अधूरी मानी जाती है पूजा!
छठ पूजा 2025 की शुरुआत 25 अक्टूबर से हो रही है। जानिए वे 7 पवित्र फल- डाभ नींबू, गन्ना, केला, नारियल, सिंघाड़ा, सुपारी और सुथनी के बारे में जो छठ मइया को सबसे प्रिय हैं और जिनके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।

दिवाली के बाद अब छठ पर्व की तैयारी है। यह पर्व सूर्य उपासना और मातृत्व शक्ति के सम्मान का प्रतीक है। सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व है। इस वर्ष छठ पूजा 25 अक्टूबर 2025, शनिवार से शुरू हो रही है। पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, फिर दो दिन घाट पर सूर्य अर्घ्य। पूजा-प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले कुछ विशेष फल माने जाते हैं, जिन्हें शामिल किए बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए अब आपको हम उन सात फलों के बारे में बताते हैं, जिन्हें छठी मइया का प्रिय माना गया है।
डाभ नींबू
डाभ नींबू सामान्य नींबू से आकार में बड़ा और अंदर से लाल रंग का होता है। स्वाद खट्टा-मीठा होता है और ऊपर की परत मोटी। इसकी मोटी परत के कारण पशु-पक्षी इसे नहीं छेड़ पाते। इसलिए इसे पवित्र माना जाता है। माना जाता है कि डाभ नींबू छठी मइया को विशेष रूप से प्रिय है, इसलिए पूजा में इसे शामिल करना शुभ होता है।
गन्ना
गन्ना छठ पर्व में अहम स्थान रखता है। कई जगह गन्ने की रस्सी-मंडप बनाकर उसके नीचे दीप जलाया जाता है। यह परंपरा कोसी भरने की रस्म से जुड़ी है। गन्ने की पवित्रता और मजबूती इसे घर में सुख-शांति लाने वाला फल बनाती है। छठी मइया को पत्ते सहित गन्ना अर्पित करना शुभ माना जाता है।
केला
केला को पवित्र फल माना गया है, क्योंकि इसमें भगवान विष्णु का वास बताया गया है। छठ पूजा में केले पर विशेष जोर है। माना जाता है कि केले को प्रसाद में शामिल करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और छठी मइया की कृपा बनी रहती है।
नारियल
नारियल छठ पूजा में प्रमुखता से शामिल होता है। धार्मिक मान्यताओं में यह देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और इसे सबसे पवित्र फल कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि नारियल अर्पित करने से व्रती की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। साथ ही, सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और स्वास्थ्य-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
सिंघाड़ा
सिंघाड़ा छठ पूजा की तैयारी में महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे माता लक्ष्मी और छठी मइया दोनों का प्रिय फल समझा गया है। यह पानी में उगने वाला फल है और इसका छिलका काफी सख्त होता है, जिससे यह अशुद्ध नहीं होता और पवित्र बना रहता है। पूजा-टोकरी में इसे रखना शुभ माना जाता है। आयुर्वेद में भी इसके स्वास्थ्य लाभ बताये गए हैं।
सुपारी
सुपारी की पूजा-प्रसाद में एक अलग जगह है। हिंदू परंपरा में हर शुभ कार्य की शुरुआत पान-सुपारी से होती है, क्योंकि इसे मंगल और समर्पण का प्रतीक माना गया है। छठी मइया की पूजा में सुपारी अर्पित करने से व्रती की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
सुथनी
सुथनी को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र और शुद्ध माना गया है। इसलिए छठ पूजा में इसका विशेष स्थान है। इसे सूर्यदेव और छठी मइया की कृपा प्राप्त करने के प्रतीक के रूप में अपनाया जाता है।
छठ पूजा का यह पर्व न केवल सूर्य देव की आराधना है बल्कि मातृत्व शक्ति की भी पवित्र श्रद्धांजलि है। इन फल-प्रसादों के माध्यम से व्रती मां-बेटे, परिवार और समस्त समाज में शांति-समृद्धि की कामना करता है। इस वर्ष 25 अक्टूबर से प्रारंभ हो रही छठ पूजा में इन सात फल-प्रसाद को शामिल कर आप इस पारंपरिक उपासना को अर्थ-पूर्ण बना सकते हैं।