चीन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर अमेरिकी प्रतिबंध की आलोचना की

चीन ने अमेरिकी सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर लगाई पाबंदी की तीखी आलोचना की है। चीन ने कहा है कि इससे अमेरिका की अपनी ही अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा।

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पीटीआई (भाषा)

चीन सरकार ने शुक्रवार को कहा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर प्रतिबंध लगाने से अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा क्योंकि विदेशों में, छात्र और उनके अभिभावक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आगे क्या होगा।

हार्वर्ड में, अंतरराष्ट्रीय छात्रों में सर्वाधिक संख्या चीन और भारत के छात्रों की है। आंकड़ों के अनुसार, विश्वविद्यालय ने 2024 में अपने विभिन्न पाठ्यक्रमों में 6,703 अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला दिया, जिनमें से 1,203 चीन से और 788 भारत से हैं।

ट्रंप प्रशासन के इस कदम की घोषणा बृहस्पतिवार को चीनी सोशल मीडिया में चर्चा में रही। सरकारी प्रसारणकर्ता सीसीटीवी ने सवाल उठाया कि क्या अमेरिका विदेशी छात्रों के लिए शीर्ष गंतव्य बना रहेग और हार्वर्ड पहले ही अमेरिकी सरकार पर अदालत में मुकदमा कर चुका है।

सीसीटीवी की टिप्पणी में कहा गया है, ‘‘लेकिन मुकदमेबाजी की लंबी अवधि के कारण, हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों को प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है।’’ सरकारी प्रसारणकर्ता ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अन्य विकल्पों पर विचार करना आवश्यक हो जाता है ‘‘जब नीतिगत अनिश्चितता नियम बन जाती है।’’

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बीजिंग में प्रेस वार्ता में कहा कि अमेरिका के साथ शैक्षिक सहयोग पारस्परिक रूप से लाभकारी है और चीन इसके राजनीतिकरण का विरोध करता है। उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी पक्ष की प्रासंगिक कार्रवाइयों से केवल उसकी अपनी छवि और अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचेगा।’’ उन्होंने कहा कि चीन विदेश में चीनी छात्रों और विद्वानों के अधिकारों और हितों की दृढ़ता से रक्षा करेगा, लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई विवरण नहीं दिया कि वह इस स्थिति में ऐसा कैसे करेगा।


इस बीच, भारतीय अधिकारियों ने कहा कि वे वर्तमान में, हार्वर्ड में पहले से ही नामांकित भारतीय छात्रों, साथ ही भविष्य में वहां अध्ययन करने के इच्छुक छात्रों पर अमेरिकी आदेश के प्रभाव का आकलन कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने कोई आलोचनात्मक बयान जारी नहीं किया।

विदेशों में पढ़ने वाले चीनी छात्रों का मुद्दा लंबे समय से अमेरिका के साथ संबंधों में तनाव का विषय रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान, चीन के शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को बढ़ती अस्वीकृति दरों और अमेरिका में वीजा जैसे मुद्दों को लेकर आगाह किया था। पिछले साल, चीनी विदेश मंत्रालय ने विरोध दर्ज कराया था कि अमेरिकी हवाई अड्डों पर पहुंचने के बाद कई चीनी छात्रों से पूछताछ की गई और उन्हें वापस भेज दिया गया।

इस बीच, हांगकांग के दो विश्वविद्यालयों ने प्रभावित छात्रों को अपने संस्थानों में बुलाया है। हांगकांग विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने कहा कि वह हार्वर्ड में पढ़ रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों का स्वागत करेगा। हांगकांग की सिटी यूनिवर्सिटी ने भी हार्वर्ड का नाम लिए बिना ऐसा ही कदम उठाया है।

इस बीच, मुंबई स्थित उच्च शिक्षा और करियर सलाहकार फर्म रीचआईवी को ट्रंप प्रशासन के इस कदम के प्रभाव के बारे में छात्रों और उनके अभिभावकों से कई प्रश्न प्राप्त हुए हैं। कंपनी की संस्थापक विभा कागजी, जो खुद हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की पूर्व छात्रा हैं, ने कहा कि वह छात्रों को प्रतीक्षा करने की सलाह दे रही हैं।

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