‘चीन ने तिब्बत में तैयार किया व्यापक ढांचा, बना रहा हेलीपैड, सेना को चौड़ी सड़कों की जरूरत’, मोदी सरकार ने SC से कहा

एटॉर्नी जनरल ने अदालत से कहा कि 1962 की जंग में चीन सीमा तक राशन की आपूर्ति पैदल ही की गई थी। उन्होंने कहा कि अगर सड़क टू-लेन नहीं बनी तो इसे बनाने का उद्देश्य विफल हो जाएगा। इसलिए डबल लेन या 7.5 मीटर चौड़ाई की इजाजत दी जानी चाहिए।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

एलएसी के पास चीन की नापाक हरकतें जारी हैं। इस बात पर खुद केंद्र सरकार ने मुहर लगाई है। चारधाम परियोजना के लिए सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के सामने चीन और उसकी गतिविधियों को लेकर कई बड़ी बातें कहीं। केंद्र ने अदालत से कहा कि चीन ने तिब्बत क्षेत्र में व्यापक निर्माण कार्य कर लिया है। केंद्र ने कहा कि ऐसे में भारतीय सेना को भारत-चीन सीमा तक भारी वाहनों को ले जाने के लिए चौड़ी सड़कों की जरूरत है, ताकि 1962 के युद्ध के दौरान जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़े। केंद्र ने यह भी कहा कि सेना को किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहना होगा।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रनाथ की पीठ के सामने एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कई अहम बातें रखीं। उन्होंने कहा कि भारत चीन सीमा पर मौजूदा घटनाक्रम को देखते हुए सेना को अच्छी सड़कें चाहिए। सीमा के पार चीन ने हवाई पट्टियां, सड़कें, रेलवे लाइनों का व्यापक ढांचा तैयार कर लिया है। यह सब वहां स्थाई रूप से हो गया है।

एटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने 8 सितंबर, 2020 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में संशोधन की मांग की। इसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को महत्वाकांक्षी चारधाम राजमार्ग परियोजना, जो चीन सीमा तक जाती हैं, की सड़कों की चौड़ाई 5.5 मीटर रखने को कहा गया था। इसे 900 किमी की सामरिक सड़क परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चार पवित्र शहरों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है।

एटॉर्नी जनरल ने अदालत से कहा कि 1962 की जंग में चीन सीमा तक राशन की आपूर्ति पैदल ही की गई थी। उन्होंने कहा कि अगर सड़क टू-लेन नहीं बनी तो इसे बनाने का उद्देश्य विफल हो जाएगा। इसलिए डबल लेन या 7.5 मीटर चौड़ाई की इजाजत दी जानी चाहिए।


केंद्र सरकार द्वारा रखी गई बातों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सारे विकास देश की रक्षा और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ और संतुलित होना चाहिए। कोर्ट देश की रक्षा जरूरतों का अनुमान नहीं लगा सकती। अदालत ने यह भी कहा कि वह इस तथ्य की अनदेखी नहीं कर सकती कि वहां प्रतिकूलता है इसलिए आधारभूत ढांचे का निर्माण जरूरी है। सेना को सीमा तक बेहतर सड़कें चाहिए। 1962 के बाद से कोई बड़ा बदलाव वहां नहीं हुआ है।

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Published: 10 Nov 2021, 8:56 AM