हांगकांग के लोगों को ब्रिटिश नागरिकता की पेशकश पर भड़का चीन, दिया गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी

चीन के नए सुरक्षा कानून को लेकर भारी राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहे हांगकांग के तीस लाख लोगों को ब्रिटेन ने अपनी नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है। चीन ने इस पर तीखी आपत्ति दर्ज कराई है और ब्रिटेन को धमकी देते हुए कहा है कि वह भी इस तरह के कदम उठा सकता है।

फोटोः सोशल मीडिया
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चीन के नए सुरक्षा कानून को लेकर भारी राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहे हांगकांग के तीस लाख लोगों को ब्रिटेन ने अपनी नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने वादा किया है कि ब्रिटेन हांगकांग के उन तीस लाख लोगों को नागरिकता की पेशकश करता है, जिनके पास ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट है या फिर वे इसे पाने के हकदार हैं।

इससे तिलमिलाए चीन ने ब्रिटेन को धमकी देते हुए कहा है कि वह भी इस तरह के कदम उठा सकता है। लंदन में चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा कि हांगकांग में रहने वाले सभी देशवासी चीनी नागरिक हैं। बयान में आगे कहा गया, "हम इसका मजबूती से विरोध करते हैं और इसी तरह का जवाबी कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं।"

अपने बयान में चीनी दूतावास ने कहा, "अगर ब्रिटिश पक्ष संबंधित नियमों में एकतरफा तौर पर बदलाव करेगा तो उससे ना सिर्फ उसकी अपनी स्थिति और संकल्प कमजोर होंगे बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को परिभाषित करने वाले बुनियादी नियमों का भी उल्लंघन होगा।" चीन सरकार के प्रवक्ता ने ब्रिटेन के कदम की निंदा की और कहा कि वह हांगकांग पर अपने वादों को नहीं निभा रहा है। प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर "गंभीर परिणामों" की चेतावनी तक दी है।

चीन प्रशासित हांगकांग में नया सुरक्षा कानून लागू होने के बाद बुधवार को पुलिस ने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया। कुछ लोगों को तो झंडे फहराने और "अलगाववादी प्रतीक दिखाने" के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। हांगकांग में पिछले साल से बहुत बड़े स्तर पर आजादी और लोकतंत्र के समर्थन में व्यापक प्रदर्शन होते आ रहे हैं। इस दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस बर्बरता की भी बड़े पैमाने पर खबरें हैं।

इससे पहले ब्रिटिश सरकार में मंत्री साइमन क्लार्क ने स्काई न्यूज के साथ बाचतीत में कहा, "हम हांगकांग के लोगों के साथ खड़े हैं।" उन्होंने कहा, "आजादी की ज्वाला बहुत कीमती है और हांगकांग को छोड़ते वक्त हमने उनसे वादा किया था और उस वादे को पूरा करने के लिए जो कुछ भी संभव होगा, जो कुछ हमारी क्षमता में होगा, हम वह करेंगे।"

बता दें कि हांगकांग में 1997 तक ब्रिटिश शासन था। करीब 23 साल पहले ब्रिटेन ने इस वादे के साथ उसे चीन को सौंपा था कि इस शहर की न्यायिक और विधायी स्वायत्तता बरकरार रहेगी। आलोचकों का कहना है कि चीन इस वादे को अब तोड़ रहा है। बुधवार को जिस दिन नया कानून लागू किया गया, उसी दिन हांगकांग के चीन को सौंपे जाने की वर्षगांठ भी थी। इस दौरान होने वाले प्रदर्शन आमतौर पर शांतिपूर्ण रहे। सिर्फ एक व्यक्ति को पुलिस अधिकारी पर चाकू से कथित तौर पर हमला करने के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया।

कई देश हांगकांग के मुद्दे पर चीन की आलोचना कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन ने कहा है कि उनका देश हांगकांग में रहने वाले उन लोगों को वीजा देने पर विचार कर रहा है, जो खुद को वहां खतरे में पाते हैं। इसके तुरंत बाद ही चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर ऑस्ट्रेलिया से चीन के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देने को कहा।

इस बीच, ताइवान ने अपने नागरिकों से कहा है कि जरूरी न हो, तो वे अभी हांगकांग जाने से बचें। हांगकांग में ताइवान के अस्थायी कंसुलेट के अधिकारियों ने कहा है कि नया सुरक्षा कानून लागू होने के पहले ही दिन हांगकांग के 180 निवासियों ने उनसे पूछा है कि ताइवान में उनका कानूनी दर्जा क्या है।

ब्रिटिश मीडिया रिपोर्टों के अनुसार लंदन में चीनी दूतावास का बयान सामने आने के बाद चीनी राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब किया गया है। चीन का कहना है कि उसके अंदरूनी मामलों में ब्रिटेन को दखल नहीं देना चाहिए। खास बात है कि ब्रिटेन ने इस साल जनवरी में यूरोपीय संघ से निकलने बाद चीन के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने पर खासा जोर दिया है। ऐसे में अब हांगकांग के मुद्दे पर चीन विरोधी उसका रुख नए तनाव को जन्म दे सकता है।

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