रामविलास की बरसी के जरिए गिले-शिकवे भूल 'नए रिश्ते' बनाने में जुटे चिराग, बिहार से लेकर दिल्ली तक हलचल

चिराग ने एलजेपी के संस्थापक रामविलास पासवान की पहली बरसी पर 12 सितंबर को आयोजित कार्यक्रम के कार्ड पर चाचा पशुपति पारस और चचेरे भाई प्रिंस राज का भी नाम देकर संकेत दिए हैं कि वह परिवार में अब सुलह करना चाहते हैं जिसके लिए उन्होंने खुद पहल की है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के सांसद चिराग पासवान अपने पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पहली बरसी पर 12 सितंबर को आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम के जरिये सारे गिले-शिकवे भूलकर नए रिश्ते बनाने में जुटे हैं। चिराग ने जहां इस कार्यक्रम का निमंत्रण देने के लिए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात की, वहीं आमंत्रण पत्र में चाचा पशुपति कुमार पारस और भाई प्रिंस राज सहित अन्य परिजनों का नाम देकर उनसे भी सुलह की कोशिश में जुटे हैं।

दरअसल एलजेपी के संस्थापक और दिवंगत नेता रामविलास पासवान की पहली बरसी के मौके पर चिराग पटना में 12 सितंबर को बरसी के कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहे हैं। इसके लिए छपवाए गए कार्ड पर चाचा पशुपति पारस और चचेरे भाई प्रिंस राज का भी नाम अंकित करवाए है। आमंत्रण कार्ड के जरिए चिराग ने संकेत दिए हैं कि वह परिवार में अब सुलह करना चाहते हैं जिसके लिए उन्होंने खुद पहल की है। सूत्रों का कहना है कि वे खुद चाचा पारस को आमंत्रण देने भी गए थे।

इसके अलावा चिराग के बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचकर तेजस्वी से मिलने के बाद राज्य की सियासत में तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे वहीं इसके मायने भी निकाले जा रहे हैं। क्योंकि कुछ दिन पूर्व आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद ने इशारों ही इशारों में चिराग को तेजस्वी के साथ आने की सलाह दी थी।

बिहार की राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले लालू प्रसाद ने चिराग को बड़ा नेता बताते हुए कहा था कि अगर तेजस्वी और चिराग एक साथ राजनीति करते हैं तो बिहार की राजनीति की अलग दिशा होगी। चिराग से मिलने के बाद तेजस्वी से जब चिराग के साथ एक प्लेटफॉर्म पर आने के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "लालू जी जब कह ही दिए हैं मुझे कहने की जरूरत है? जब वे कह दिए हैं तो अब कुछ कहना बाकी है क्या?"


हालांकि इस दौरान तेजस्वी से मिलने के बाद चिराग ने स्पष्ट कर दिया कि इस मुलाकात के कोई भी राजनीति मायने नहीं निकाले जाने चाहिए। उन्होंने कहा, "लालू प्रसाद के परिवार के साथ हमारे परिवार का पुराना रिश्ता है। पिता जी और लालू जी साथ मिलकर काम किए हैें। दोनें के बीच अच्छी दोस्ती थी। जल्द दिल्ली में लालू प्रसाद से भी मुलाकात भी करेंगे।"

इससे स्पष्ट है कि आरजेडी चिराग को साथ लेने के लिए बाहें फैलाए हुए है, बस चिराग के हामी भरने की देरी है। हालांकि, चिराग अभी तक अपने सारे पत्ते नहीं खोल रहे हैं, लेकिन सभी से अपने संबंध को नयापन देने में जुटे हैं। ऐसे में बिहार से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारे में चिराग के अगले कदम को लेकर हलचल है और तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

इधर, चिराग द्वारा पिता की बरसी को लेकर तमाम नेताओं को आमंत्रण भेजने पर एलजेपी के (चिराग गुट) प्रवक्ता अशरफ अंसारी कहते हैं कि यह पारिवारिक कार्यक्रम है। निमंत्रण उन सभी को भेजा जा रहा है, जिनसे नेता जी रामविलास पासवान जी के संबंध रहे हैं। वे पार्टी के संस्थापक थे। वे सभी के नेता थे। उनकी आत्मा की शांति के लिए ही बरसी मनाई जा रही है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों चाचा पशुपति कुमार पारस की बगावत के बाद एलजेपी दो गुटों में बंट गई है। एक गुट का नेतृत्व जहां पारस कर रहे हैं, वहीं एक गुट चिराग पासवान के नेतृत्व में चल रहा है। दोनों गुट एजेपी पर अपना दावा पेश कर रहे हैं।

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