उत्तराखंड के चमोली में बादल फटने से भीषण तबाही, 7 लोग लापता, 6 घर तबाह, बचाव अभियान जारी
प्रभावित इलाके में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और लोक निर्माण विभाग की टीमों को तैनात किया गया है। साथ ही, मलबा हटाने और राहत कार्यों में मदद के लिए जेसीबी मशीनें और अन्य उपकरण भी लगाए गए हैं।

उत्तराखंड के चमोली में मूसलाधार बारिश के बीच बादल फटने से भीषण तबाही मची है। इस दौरान 7 लोग लापत हो गए। बुधवार देर रात बादल फटने के बाद नंदा नगर में भारी मलबा आ गया, जिससे 6 मकान मलबे में तब्दील हो गए।
राहत-बचाव कार्य जारी
प्रभावित इलाके में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और लोक निर्माण विभाग की टीमों को तैनात किया गया है। साथ ही, मलबा हटाने और राहत कार्यों में मदद के लिए जेसीबी मशीनें और अन्य उपकरण भी लगाए गए हैं।
मलबे से दो लोगों को जीवित बाहर निकाला गया, जबकि अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद खोज एवं बचाव कार्य जारी है। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि तीन एम्बुलेंस के साथ एक मेडिकल टीम घटनास्थल पर पहुंच गई है।
7 लोग लापता, 6 घर तबाह
चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया, "चमोली जिले के नंदानगर घाट इलाके में बुधवार रात बादल फटने से नुकसान हुआ है। नंदानगर के कुंत्री लंगाफली वार्ड में 6 घर मलबे में दब गए। सात लोग लापता हैं, जबकि दो को बचा लिया गया है। राहत और बचाव कार्य जारी है।"
स्थानीय लोगों ने बताया कि बादल फटने के बाद कई निवासी अभी भी अपने घरों में फंसे हुए हैं। अधिकारियों ने लापता लोगों का पता लगाने के लिए जमीनी स्तर पर टीमें तैनात कर दी हैं, हालांकि आगे भी भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है।
भारी बारिश का अलर्ट
चमोली में भारी बारिश की संभावना है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में चमोली में और भारी बारिश को लेकर चेतावनी जारी की गई है। लोगों से सावधान रहने की अपील की गई है।
स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने देहरादून, चंपावत, उधम सिंह नगर, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, पौड़ीगढ़ और चमोली के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। निवासियों को 20 सितंबर तक अत्यधिक भारी वर्षा, भूस्खलन, बुनियादी ढांचे के ढहने और बढ़ती मौतों की संभावना के बारे में आगाह किया है।
देहरादून में मची थी तबाही
यह घटना देहरादून के सहस्त्रधारा में चार दिन पहले हुए भयानक बादल फटने के बाद हुई, जिसमें कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई थी। उस आपदा में सड़कें बह गईं, दुकानें और घर क्षतिग्रस्त हो गए, और दो बड़े पुल नष्ट हो गए थे।
इस दौरान, देहरादून के टपकेश्वर महादेव मंदिर को भी भारी नुकसान हुआ। सहस्त्रधारा में बादल फटने और भारी बारिश से तमसा नदी में उफान आ गया, जिसके कारण मंदिर परिसर में पानी भर गया। मंदिर परिसर में कई फीट तक रेत और मलबा घुस गया, जिससे शिवलिंग डूब गया और दीवारों में गहरी दरारें पड़ गईं।
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