लॉकडाउन से ठप कारोबार शुरु कराने और लोगों के हाथ में पैसा पहुंचाने के लिए गृह मंत्रालय को भेजा गया SOS

केंद्रीय गृह मंत्रालय को कहा गया है कि वह आर्थिक गतिविधियों को शुरु कराने और लोगों के हाथों में पैसा पहुंचाने के लिए चुनिंदा उद्योगों के उत्पादन को फिर से शुरू करने की संभावना पर गौर करे और अनुमति दे।

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नवजीवन डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए किए गए 21 दिन के लॉकडाउन की समयावधि मंगलवार यानी 14 अप्रैल को समाप्त हो रही है। इसके बाद लॉकडाउन जारी रहेगा या नहीं इस पर प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात तो नहीं बताई है अलबत्ता मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस में उन्होंने जोर दिया था कि सरकार को लॉकडाउन और जीवन चलाने के लिए जरूरी गतिविधियों के बीच संतुलन बनाना होगा। उन्होंने यह बात "जान और जहान” की मिसाल से कही थी। उनकी इस बात का यही अर्थ लगाया गया था कि लॉकडाउन किसी न किसी रूप में जारी रहेगा लेकिन आजीविका चलाने के लिए कुछ रियायतें दी जा सकती हैं।

इस बैठक में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के खत्म होने की मीयाद करीब आने के साथ ही इस बात की भी मांग उठी थी कि जिन इलाकों में इस महामारी का ज्यादा असर नहीं है या बिल्कुल मामूली है, वहां व्यापारिक और आर्थिक गतिविधियां शुरु कर देना चाहिए।

इसी सिलसिले में उद्योग संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को कुछ खास क्षेत्रों में काम शुरु करने की अनुमति देने का आग्रह किया है। विभाग का कहना है कि कोरोना लॉकडाउन से बिगड़ी आर्थिक हालत को सुधारने और लोगों के हाथ में पैसा पहुंचाने के लिए इन कारोबारी गतिविधियों को शुरु करना जरूरी है।


पत्र में कहा गया है, ''केंद्र सरकार अगर लॉकडाउन बढ़ाने और उसके स्वरूप पर अगर कोई फैसला लेती है तो भी जरूरी सुरक्षा उपायों के साथ कुछ और आर्थिक गतिविधियों को अनुमति दी जानी चाहिए। विभाग ने अलग-अलग राज्यों और उद्योग मंडलों के साथ गहन बातचीत के बाद लॉकडाउन से धीरे-धीरे बाहर निकालने की योजना के तहत यह सुझाव दिया है।

विभाग ने सुझाव दिया है कि जिन उद्योगों को कामकाज की अनुमति दी जा सकती है, उनमें एक ही जगह से कर्मचारियों का प्रवेश, सामाजिक दूरी बनाये रखने के लिये पर्याप्त जगह, कर्मचारियों को लाने-ले जाने के लिये अलग-अलग परिवहन व्यवस्था या फैक्टरी परिसर में ही रहने के इंतजाम और परिसर में बेहतर साफ-सफाई की व्यवस्था की जानी चाहिए। राज्य और जिला प्राधिकरणों को इन गतिविधियों की अनुमति देते समय इन शर्तों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना चाहिए। डीपीआईआईटी ने कुछ क्षेत्रों के लिये वाहनों और वर्कफोर्स की बिना रोकटोक आवाजाही की भी सिफारिश की है।

विभाग ने एहतियाती उपायों के साथ जिन उद्योगों में एकल पाली में कामकाज की अनुमति देने का का सुझाव दिया है, उनमें आप्टिक फाइबर केबल, काम्प्रेसर एंड कंडेनसर इकाइयां, इस्पात और फेरस एलॉय मिल, पावर लूम, लुग्दी और कागज इकाइयां, उर्वरक, पेंट, प्लास्टिक, वाहन इकाइयां, रत्न एवं आभूषण तथा सेज एवं निर्यात उन्मुख इकाइयों (ईओयू) की सभी इकाइयां शामिल हैं।

पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर मजदूरों और कामगारों को निर्माण या उत्पादन स्थल पर रहने की अनुमति मिलती है तो आवास और निर्माण क्षेत्रों में भी काम शुरू करने की जरूरत है। विभाग ने राज्यों के बीच एवं राज्यों के अंदर सभी आकार के परिवहन वाहनों को भी चलाने की अनुमति देने का भी आग्रह किया है।

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