PM मोदी से कांग्रेस ने पूछा, हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी गंगा और ज्यादा क्यों हो गई मैली?

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि निवर्तमान प्रधानमंत्री को वाराणसी में अपनी विफलताओं पर जवाब देना चाहिए। 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद गंगा और भी अधिक मैली क्यों हो गई है?

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश के वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपना नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर कांग्रेस पार्टी ने शहर से जुड़े कुछ मुद्दों को लेकर उन पर निशाना साधा और सवाल किया कि 20,000 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद गंगा नदी पहले से अधिक मैली क्यों हो गई?

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट किया, "निवर्तमान प्रधानमंत्री को वाराणसी में अपनी विफलताओं पर जवाब देना चाहिए। 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद गंगा और भी अधिक मैली क्यों हो गई है? प्रधानमंत्री ने वाराणसी के उन गांवों को उनके हाल पर क्यों छोड़ दिया, जिन्हें उन्होंने "गोद लिया" था? प्रधानमंत्री वाराणसी में महात्मा गांधी की विरासत को नष्ट करने पर क्यों तुले हुए हैं?"

उन्होंने कहा, "2014 में जब नरेन्द्र मोदी वाराणसी आए थे तब उन्होंने कहा था कि "मुझे मां गंगा ने बुलाया है।" उन्होंने पवित्र गंगा को साफ करने का वादा किया। सत्ता में आने के तुरंत बाद, उन्होंने पहले से चल रहे मिशन गंगा को नमामि गंगे नाम दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा के प्राकृतिक प्रवाह को बहाल करने के उद्देश्य को पूरी तरह से त्याग दिया है।"

जयराम रमेश ने कहा, "मनमोहन सिंह सरकार ने गंगा पर राज्य और केंद्र सरकार की पहल के समन्वय के लिए 2009 में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की स्थापना की थी। इस महत्वपूर्ण संस्थान को भी प्रधानमंत्री ने पहले राष्ट्रीय गंगा नदी परिषद का नाम दिया और फिर 10 सालों के लिए इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।"


कांग्रेस महासचिव ने कहा, "अंत में सात आईआईटी का एक संघ साथ आया और गंगा नदी बेसिन की सुरक्षा और कायाकल्प के लिए एक गंगा नदी बेसिन कार्य योजना की सिफारिश की।"

उन्होंने दावा किया कि कई खंडों की अंतिम रिपोर्ट मोदी सरकार को सौंपी गई लेकिन इस रिपोर्ट पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि पिछली सरकारों के काम को आगे बढ़ाने और विशेषज्ञों की राय को सुनने के बजाय, प्रधानमंत्री ने अपने प्रयासों को नए सिरे से शुरू करने में करोड़ों रुपए खर्च किए।

जयराम रमेश ने आरोप लगाया, "पिछले दस सालों में गंगा नदी पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च किए गए, जिसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन सामने आया है।"

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