कांग्रेस का BJP-JDU पर भ्रष्टाचार को लेकर हमला, कहा- पिछले 20 सालों से बिहार को ‘लूटने’ का काम किया
जयराम रमेश ने कहा कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार सरकार ने 70,877.61 करोड़ खर्च किए, लेकिन खर्च की गई राशि के 49,649 उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा ही नहीं किए।

कांग्रेस ने बीजेपी और जेडीयू पर भ्रष्टाचार के जरिए पिछले 20 वर्षों से बिहार को ‘‘लूटने’’ का रविवार को आरोप लगाया और विश्वास जताया कि राज्य के लोग अपने वोट के जरिए इस ‘‘ट्रबल इंजन सरकार’’ से मुक्ति पा लेंगे।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि बिहार के लोग पिछले 20 वर्षों से जारी "लूट, भ्रष्टाचार और लापरवाही" की कीमत चुका रहे हैं। जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘बिहार में भारतीय जनता पार्टी-जनता दल (यूनाइटेड) की ट्रबल इंजन सरकार लूट और लापरवाही के नए कीर्तिमान स्थापित कर चुकी है।’’
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार में हुए जातिगत सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि बिहार के लगभग नौ करोड़ लोग रोज़ केवल 67 रुपया प्रतिदिन में गुजारा कर रहे हैं।
जयराम रमेश ने कहा, ‘‘सवाल उठता है कि बीते 20 वर्षों में बीजेपी और जेडीयू सरकार ने बिहार के बजट और पैसों का किया क्या?’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि इसका जवाब कैग की रिपोर्ट में मिलता है -कैसे केंद्र की मोदी सरकार और बिहार की बीजेपी और जेडीयू सरकार ने ‘‘घोटालों और जानबूझकर की गई लापरवाही’’ से बिहार का भविष्य ‘‘लूट’’ लिया।
जयराम रमेश ने कहा कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार सरकार ने 70,877.61 करोड़ खर्च किए, लेकिन खर्च की गई राशि के 49,649 उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा ही नहीं किए। उन्होंने कहा कि यानी इतनी बड़ी राशि कहां और कैसे खर्च हुई इसका कोई प्रमाण नहीं है, जबकि यह राशि दलित, अति पिछड़ों, किसानों, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय, शिक्षा और विकास पर खर्च होनी थी।
उन्होंने दावा किया, ‘‘जिन विभागों के खर्च का कोई प्रमाण नहीं: उनमें सहकारिता के 804.69 करोड़ रुपये, स्वास्थ्य के 860.33 करोड़ रुपये, पिछड़ा-अति पिछड़ा कल्याण के 911.08 करोड़ रुपये, सामाजिक कल्याण के 941.92 करोड़ रुपये, एससी/एसटी कल्याण के 1,397.43 करोड़ रुपये, कृषि के 2,107.63 करोड़ रुपये, ग्रामीण विकास के 7,800.48 करोड़ रुपये, शहरी विकास के 11,065.50 करोड़ रुपये, शिक्षा के 12,623.67 करोड़ रुपये, पंचायती राज के 28,154.10 करोड़ रुपये शामिल हैं।’’
उन्होंने कहा कि कुल 70,877.61 करोड़ रुपये की राशि का कोई प्रमाण ही नहीं है। रमेश ने आरोप लगाया कि कैग की रिपोर्ट स्पष्ट रूप से संकेत देती है कि ‘‘महाघोटाला’’ हुआ है।
उन्होंने दावा किया कि कैग ने 2025 की अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि पिछले पांच वर्षों में बिहार की बीजेपी और जेडीयू सरकार ने बजट की घोषणाएं तो कीं, लेकिन धरातल पर उसका कार्यान्वयन बुरी तरह विफल रहा।
जयराम रमेश ने कहा कि बिहार में दलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा, महिला, बच्चों और अल्पसंख्यक वर्गों के लिए आवंटित योजनाओं की राशि खर्च ही नहीं की गई। कैग की रिपोर्ट कहती है कि पिछले पांच वर्षों में कुल 3,59,667 करोड़ रुपये बजट आवंटन के बावजूद रकम खर्च नहीं हो पाई।
जयराम रमेश ने कहा, ‘‘2019-20 में 35 प्रतिशत बजट उपयोग नहीं हुआ। 2020-21 में 31 प्रतिशत कोष खर्च नहीं हुआ। 2021-22 में 27 प्रतिशत कोष खर्च नहीं हुआ, 2022-23 में 22 प्रतिशत कोष बजट में पड़ा रहा, 2023-24 में 20 प्रतिशत उपयोग ही नहीं हुआ।’’
उन्होंने कहा कि कुछ तो बहुत जरूरी योजनाएं हैं जिनका बजट खर्च नहीं हो पाया और इसी वजह से इसका सीधा असर बिहार के बच्चों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य, किसानों, महिलाओं और गरीब परिवारों एवं वंचित समुदायों पर पड़ा।
जयराम रमेश ने कहा, ‘‘सर्व शिक्षा अभियान में 2021–22 में 46 प्रतिशत धन खर्च नहीं हुआ। 2022–23 में 52 प्रतिधत धन खर्च नहीं हुआ, 2023–24 में 48 प्रतिशत धन खर्च नहीं हुआ।’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि यानी बच्चों की शिक्षा के लिए स्वीकृत हर 100 रुपए में से लगभग 50 रुपए सरकार ने खर्च ही नहीं किया।
उन्होंने कहा कि मध्याह्न भोजन का भी यही हाल है- यहां भी बजट का आधे से अधिक धन खर्च ही नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जो पैसा बच्चों के पोषण और पेट भरने के लिए था उसे भी खर्च नहीं किया गया।
कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास, ग्राम सड़क, पोषण, छात्रवृत्ति, एससी-एसटी-ओबीसी कल्याण जैसी केंद्र प्रायोजित योजनाओं में भी पिछले पांच वर्षों में औसतन 40 प्रतिशत कोष ही नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘इस लूट, झूठ, भ्रष्ट और निकम्मी ट्रबल इंजन सरकार से बिहार की जनता वोट के ज़रिए मुक्ति पाएगी।’’
बिहार में पहले चरण का मतदान छह नवंबर को हुआ। दूसरे और अंतिम चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा तथा मतगणना 14 नवंबर को होगी।
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