कांग्रेस का पीएम मोदी पर हमला, कहा- यूपी में 'डबल इंजन सरकार' के पास बहुत कम ईंधन, 4 जून को हो जाएगा बंद

जयराम रमेश ने कहा, "आज पीएम मोदी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का दौरा करेंगे, जहां ‘डबल इंजन की सरकार’ ख़तरनाक रूप से कम ईंधन पर चल रही है। चार जून को इंजन के बंद होने से पहले, हमें उम्मीद है कि पीएम इन सवालों का जवाब देंगे कि मशीनरी आखिर खराब क्यों हो रही है।"

फोटो: IANS
फोटो: IANS
user

नवजीवन डेस्क

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहारनपुर दौरे से पहले शनिवार को राज्य की कुछ समस्याओं को लेकर सवाल किए और दावा किया कि राज्य की ‘डबल इंजन सरकार’ के पास अब बहुत कम ईंधन बचा हुआ है और चार जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद यह बंद हो जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को सहारनपुर में एक जनसभा को संबोधित करेंगे।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट किया, "आज, प्रधानमंत्री मोदी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का दौरा करेंगे, जहां ‘डबल इंजन की सरकार’ ख़तरनाक रूप से कम ईंधन पर चल रही है। चार जून को इंजन के बंद होने से पहले, हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री इन सवालों का जवाब देंगे कि मशीनरी आख़िर ख़राब क्यों हो रही है।"


1. सहारनपुर अपने यहां होने वाली लकड़ी की नक्काशी के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यह लकड़ी के शहर के रूप में प्रसिद्ध है। यह उद्योग 200 वर्ष से अधिक पुराना है। यह शहर की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 7 लाख से अधिक लोगों को रोज़गार देता है। लेकिन यह दुर्भाग्य है कि मोदी सरकार की ग़लत नीतियों ने लकड़ी-नक्काशी उद्योग को भारी नुक़सान पहुंचाया है। पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और अंत में, बिना किसी तैयारी के लगाए गए लॉकडाउन ने इस उद्योग को तबाह कर दिया है। यह अब तब नहीं उबर पाया है। जब यह उद्योग अपने चरम पर था तब यह 1500 करोड़ से अधिक का माल निर्यात कर रहा था लेकिन आज इसमें लगभग 90% तक की कमी आई है। सहारनपुर के मामले में "डबल इंजन" की सरकार तीन गुना दोषी है। पीएम मोदी को उन लाखों कारीगरों से क्या कहना है जो उनकी ग़लत नीतियों के कारण पीड़ित हैं? राज्य और केंद्र की भाजपा सरकारों ने इस सदियों पुराने उद्योग को बढ़ावा देने के लिए क्या किया है?

2. कृषि मंत्रालय के अनुसार उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है। पश्चिमी यूपी के किसान उर्वरकों और कीटनाशकों की बढ़ती लागत का हवाला देते हुए गन्ने के निर्धारित मूल्य (एसएपी) में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। लेकिन, भाजपा सरकार ने क़ीमत बढ़ाकर सिर्फ़ 360 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है, जो यूपी के किसानों के लिए अपर्याप्त है। महंगाई के हिसाब से देखें तो यह काफ़ी कम है। पंजाब के 386 रुपए/क्विंटल और हरियाणा के 391 रुपए/क्विंटल से भी बहुत कम है। जैसा कि यूपी योजना आयोग के पूर्व सदस्य सुधीर पंवार ने टिप्पणी की, "यूपी में, एसएपी, जो पहले इनपुट लागत से निर्धारित होता था, अब चुनाव कार्यक्रम द्वारा तय होता है।" क्या प्रधानमंत्री बता सकते हैं कि भाजपा सरकार किसानों को उनके काम का उचित प्रतिफल देने में इतनी अनिच्छुक क्यों रही है?

3. बार-बार कार्रवाई करने के वादे के बावजूद, यूपी सरकार बढ़ते आवारा पशुओं की समस्या का समाधान करने में विफल रही है। पर्याप्त पशु आश्रयों की कमी के कारण पशुपालक अपने पशुओं को छोड़ कर उनकी देखभाल करने से बचते हैं। इस वजह से अब किसानों का फ़सल उगाना मुश्किल हो गया है और उच्च मूल्य वाली फसलें ज़्यादा बर्बाद हो रही हैं। इससे फ़सल विविधीकरण के प्रयास भी फेल हो रहे हैं। किसानों को अब चौबीसों घंटे निगरानी रखनी पड़ती है, और कुछ को तो सांड के हमले के कारण जान भी गंवानी पड़ी है। सार्वजनिक चर्चा के मुद्दों को भटकाने के बजाय, क्या प्रधानमंत्री उन मुद्दों पर बात कर सकते हैं जो सही मायने में स्थानीय लोगों से संबंधित हैं? इस समस्या को हल करने के लिए उनके पास क्या विज़न क्या है?

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia