कांग्रेस ने पंजाब के लिए राहत पैकेज को बताया मजाक, कहा- तबाही के सामने 1600 करोड़ रुपए 'ऊंट के मुंह में जीरा
अमरिंदर सिंह राजा ने कहा कि साढ़े चार लाख एकड़ से अधिक की फसलें नष्ट हो चुकी हैं, ढाई लाख से अधिक पशु प्रभावित हुए हैं, हजारों मकान गिर गए और कई लोगों की जानें चली गईं। लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। और हालात कब सामान्य होंगे, कोई पता नहींं।

पंजाब में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पंजाब के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वे किया और राज्य को 1600 करोड़ रुपए की मदद देने की घोषणा की। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने केंद्र सरकार की इस मदद को मजाक करार देते हुए कहा कि पंजाब की तबाही के सामने यह राहत पैकेज 'ऊंट के मुंह में जीरा' है।
अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने कहा कि केंद्र सरकार का यह मुआवजा पंजाब की तबाही के सामने बेहद कम है। उनके अनुसार साढ़े चार लाख एकड़ से अधिक फसलें नष्ट हो चुकी हैं, ढाई लाख से अधिक पशु प्रभावित हुए हैं, हजारों मकान गिर गए और कई लोगों की जानें चली गईं। लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। और हालात कब सामान्य होंगे, कोई पता नहींं।
अमरिंदर सिंह राजा ने कहा कि यह रकम कब और कैसे किसानों तक पहुंचेगी, यह किसी को पता नहीं। यदि किसी किसान के खाते में 50 हजार रुपए आएंगे, तभी इसे राहत माना जाएगा। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों के समय दिए गए मुआवजों का उल्लेख करते हुए कहा कि 1988 में आपदा के समय एक अरब रुपए दिए गए थे, जिसका मूल्य आज लगभग ढाई हजार करोड़ होता है। इसी तरह 2000 के दशक में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने बाढ़ग्रस्त जिलों के लिए 1,200 करोड़ की सहायता दी थी। ऐसे में मौजूदा 1600 करोड़ रुपए की घोषणा नाकाफी है।
उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार दोनों पर निशाना साधते हुए कहा कि पंजाब सरकार से तो पहले ही कोई उम्मीद नहीं थी और अब केंद्र ने भी निराश किया है। बाढ़ प्रभावित किसान, जिनकी मोटर, कनेक्शन और मकान बर्बाद हो गए हैं, उन्हें केवल पचास हजार रुपए से मदद नहीं मिल सकती। जलभराव के कारण गांवों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, लोग पीने का पानी बाजार से ला रहे हैं और रोजगार खत्म हो गया है।
अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने कहा कि पंजाब को कम से कम 50 हजार करोड़ रुपए की सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने किसानों की कर्ज माफी की मांग भी उठाई। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र ने वास्तविक मदद नहीं की तो पंजाब की जनता न केंद्र सरकार को माफ करेगी, न ही राज्य सरकार को। मौजूदा सहायता योजना किसानों की पीड़ा और उनकी जरूरतों के सामने बेहद नगण्य है, इसलिए इसे 'ऊंट के मुंह में जीरा' ही कहा जाएगा।
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