जब बीजेपी ने बताया ₹72 से ज्यादा होते हैं ₹56 और ₹71 से कम होते हैं ₹80, तो कांग्रेस ने सिखाया गणित

बीजेपी की नजर में 80 रुपए 71 रुपए से कम होते हैं और 72 रुपए 56 रुपए से कम। यह हम यूं ही नहीं कहरहे बल्कि खुद बीजेपी ने ग्राफिक्स के जरिए देश के सामने ये आंकड़े रखे हैं और इन अंतरों को प्रतिशत में भी पेश किया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

दरअसल जब पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ भारत बंद के दौरान देश सड़कों पर निकलकर आक्रोश व्यक्त कर रहा था, तो सत्तारूढ़ बीजेपी के पास सफाई देने के लिए कुछ नहीं था। ऐसे में बीजेपी सोशल मीडिया टीम ने एक के बाद एक दो ट्वीट किए जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ ग्राफिक्स के जरिए बीते कुछ वर्षों में तेल कीमतों में बदलाव दिखाते हुए ‘तेल कीमतों में वृद्धि का सच’ पेश किया। इन ट्वीट में बीजेपी ने पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में बढ़ोत्तरी को कमी बताया।

पेट्रोल की कीमतें बताने वाले ट्वीट में बीजेपी ने ग्राफिक्स के जरिए बताया कि 2014 से 2018 के बीच तेल कीमतों में 13 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई, लेकिन बीजेपी ने इसे 2009 से 2014 के बीच तेल की कीमतों से तुलना कर 75.8 फीसदी की कमी करार दिया।

लेकिन बीजेपी से यहां गलती हो गई। बीजेपी ने दरों में कमी के बजाय इसे तेल की मौजूदा कीमत से तुलना कर दी और 80 रुपए 73 पैसे को 40 रुपए 62 पैसे से कम बता दिया।

बीजेपी ने ऐसा ही ट्वीट डीज़ल कीमतों के लिए भी किया। यहां भी बीजेपी ने ग्राफिक्स के जरिए बताया कि 2014 से 2018 के बीच कीमतों में कमी आई, जबकि डीज़ल के दाम 56 रुपए 71 पैसे से बढ़कर 72 रुपए 83 पैसे पहुंच गए।

बीजेपी की इस गणित पर जहां सोशल मीडिया पर लोगों ने चटखारे लेने शुरु किए और उस विद्धान पंडित का नाम पूछा जिसने यह गणना की है, वहीं कांग्रेस ने घंटे भर में ही बीजेपी के इस गड़बड़झाले की पोल खोल डाली। कांग्रेस ने बीजेपी के इन त्रुटिपूर्ण ट्वीट को ‘दुरुस्त’ करते हुए नए ग्राफिक्स के साथ ट्वीट कर दिया। इस ट्वीट में तेल कीमतों की असली तस्वीर पेश की गई है। इतना ही नहीं कांग्रेस ने अपने ग्राफ में भारतीय बास्केट में 2004 से 2018 के बीच कच्चे तेल की कीमतों का तुलनात्मक विवरण भी पेश कर दिया।

इस ट्वीट से साफ हो गया कि यूपीए शासन में अगर तेल की कीमतों में उछाल आया तो उसका कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में बढ़ोत्तरी होना था। इस ग्राफिक्स से यह भी साफ हो गया कि 2014 से 2018 के बीच कच्चे तेल के दामों में 34 फीसदी की कमी हुई , लेकिन घरेलू तेल की कीमत में 13 फीसदी का इजाफा हुआ।

इस तरह पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों पर बीजेपी की सफाई उसे भारी पड़ गई, और कांग्रेस ने उसके झूठ की पोल खोल कर रख दी।

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