कांग्रेस ने बजट को लोगों के साथ धोखा करार दिया, चिदंबरम बोले- नागरिकों के लिए एक बड़ा झटका
पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा कि उपकर लगाने से व्यापक प्रभाव पड़ेगा। यह संघीय ढांचे के खिलाफ है, क्योंकि राज्यों को उपकर का हिस्सा नहीं मिलता है। सरकार ने गरीबों, प्रवासी कामगारों और मजदूरों की अनदेखी की है। बजट ने इतना निराश पहले कभी नहीं किया था।
कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आज संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश आम बजट को देश के लोगों के साथ धोखा करार दिया है। बजट पेश किए जाने के बाद कांग्रेस नेता चिदंबरम ने कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि बजट ने इतना निराश पहले कभी नहीं किया था।
पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने आगे कहा, "बजट से वित्त मंत्री ने भारत के लोगों को धोखा दिया है, विशेष रूप से गरीबों, श्रमिक वर्ग, प्रवासियों, किसानों को धोखा दिया है और औद्योगिक इकाइयों को स्थायी रूप से बंद कर दिया है और जो लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं और अभी भी नौकरियों की तलाश में हैं, उन्हें और ज्यादा निराशा हुई है। बजट ने इतना निराश पहले कभी नहीं किया था।"
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि जो लोग सीतारमण का भाषण सुन रहे थे, यहां तक कि सांसदों को भी इस बारे में कुछ नहीं पता था कि वह पेट्रोलियम और डीजल सहित कई उत्पादों पर उपकर लगाएंगी। उन्होंने कहा, "पेट्रोल पर प्रति लीटर 2.50 रुपये और डीजल पर 4.00 रुपये प्रति लीटर उपकर किसानों सहित औसत नागरिकों के लिए एक बड़ा झटका है। पेट्रोल-डीजल पर उपकर उन हजारों किसानों के खिलाफ एक प्रतिशोधी कृत्य है, जिन्होंने इतिहास की सबसे लंबी ट्रैक्टर रैली निकाली। यह संघवाद के लिए भी एक झटका है, क्योंकि राज्यों को उपकरों से राजस्व का हिस्सा नहीं मिलता।"
कांग्रेस महासचिव और मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “मोदी सरकार के बजट का एक शब्द में सार है– धोखा। इस बजट का नाम है धोखेबाज़ बजट! ये धोखे पर आधारित है।“ उन्होंने कहा कि बजट में विनिवेश के बारे में कहा जा सकता है- "बेच खाएंगे सब कुछ, छोड़ेंगे नहीं अब कुछ!"
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने गरीब को धोखा दिया, नौकरी पेशा लोगों को धोखा दिया, मज़दूर-किसान-छोटे उद्योग को धोखा दिया। उन सांसदों को भी धोखा दिया जो वित्त मंत्री के बजटीय भाषण को सुन रहे थे। जो चीज़ें देश की सुरक्षा और अस्मिता के लिए आवश्यक थीं, उनकी चर्चा भी वित्त मंत्री जी ने नहीं की। देश के रक्षा बजट में एक फूटी कौड़ी भी नहीं बढ़ाई गई। ऐसे समय पर जब चीन हमारी सरज़मीं पर कब्जा किए है, रक्षा बजट की चर्चा तक न करना, देश की सरकार की प्राथमिकता की ओर इशारा करता है।
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