हिजाब मामले को लेकर कांग्रेस सांसद का केंद्र पर हमला, कहा- हिजाब जनता का उठाया मुद्दा नहीं, BJP का है

कर्नाटक चुनाव और BJP पर हमला बोलते हुए कांग्रेस राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, हिजाब मुद्दा जनता ने नहीं उठाया बल्कि BJP और इनसे जुड़े संगठनों ने ही उठाया है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया
user

नवजीवन डेस्क

कर्नाटक में हिजाब पर लगा बैन फिलहाल जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कर्नाटक सरकार के 5 फरवरी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक खंडित फैसला सुनाया। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, हिजाब मुद्दा जनता ने नहीं उठाया बल्कि BJPऔर इनसे जुड़े संगठनों ने ही उठाया है। अगले वर्ष कर्नाटक चुनाव हैं और यह मुद्दा उसी राज्य से उठा भी है।

कर्नाटक चुनाव और BJP पर हमला बोलते हुए कांग्रेस राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, BJP की राज्य में कोशिश यही है कि 40 फीसदी कमीशन और कुछ BJP के नेता बिटकॉइन में फंसे हैं। भ्रष्टाचार में सम्मिलित नेताओं से मुद्दा हटे और हिजाब पर विवाद होता रहे। हिजाब मुद्दा जनता ने नहीं उठाया बल्कि BJP और इनसे जुड़े संगठनों ने ही उठाया है।

कांग्रेस हमेशा अपना पक्ष ही रखती है कि भारत का संविधान खाने-पीने, पहनावे का सबका अपना अधिकार है और यह अधिकार तब तक है जब तक दूसरे का अधिकार उल्लंघन ना हो। आज आप हिजाब, कल पगड़ी फिर घूंघट और फिर पर्दे पर रोक लगा दीजिए। यह सब तो रीती रिवाज हैं। कई स्कूलों में यूनिफॉर्म है तो कई स्कूलों में यूनिफॉर्म ही नहीं है।

उन्होंने कहा कि यदि यह मामला संवेदनशील नहीं होता तो सुप्रीम कोर्ट की भी दो राय नहीं होती, इस पर बयान देने से पहले हमें सुप्रीम कोर्ट के तीनों जजों का फैसला सुनना चाहिए और प्रतीक्षा करनी चाहिए। दरअसल कर्नाटक सरकार ने प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने पर रोक लगाई है। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने यह फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति गुप्ता ने कर्नाटक सरकार के बैन को बरकरार रखा और कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील खारिज कर दी। हालांकि, न्यायमूर्ति धूलिया ने सभी अपीलों को स्वीकार कर लिया और कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया।

न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि मेरे फैसले का मुख्य जोर यह है कि विवाद के लिए आवश्यक धार्मिक प्रथा की पूरी अवधारणा जरूरी नहीं है और हाई कोर्ट ने गलत रास्ता अपनाया। न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा, यह (हिजाब पहनना) पसंद का मामला है, न ज्यादा और न ही कम। उन्होंने कहा कि मैंने 5 फरवरी के सरकारी आदेश को रद्द कर दिया है और प्रतिबंध हटाने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि उनके दिमाग में ये बात थी कि क्या हम एक छात्रा की शिक्षा के मामले में इस तरह के प्रतिबंध लगाकर उसके जीवन को बेहतर बना रहे हैं। पीठ ने आदेश दिया कि मामले को तीन-न्यायाधीशों की पीठ को सौंपने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित के सामने रखा जाए।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia