यूपी में कांग्रेस की नदी अधिकार यात्रा जारी, 200 से ज्यादा सभाएं कर निषाद समुदाय को उनका हक दिलाने का अभियान

यूपी में कांग्रेस की नदी अधिकार यात्रा जारी है। करीब 450 किलोमीटर की पैदल यात्रा में 200 से अधिक सभाओं के जरिए निषाद समुदाय को उनका हक दिलाने और उनकी आवाज को सशक्त करने का काम किया जाएगा। कांग्रेस के इस प्रयोग से एसपी-बीएसपी और बीजेपी में बेचैनी है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की फोटो के साथ एक पर्चे पर लिखीं 9 मांगे, हर रोज़ गंगा किनारे 25-30 किलोमीटर की पैदल यात्रा, निषाद बहुल गांवों में रोज 8 से 10 सभाएं और गंगा के मैदानी इलाकों में निषाद समुदाय द्वारा बनाए गए मंदिरों में रैन बसेरा...यह वह नई रणनीति है जिसके जरिए देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी राजनीतिक तौर पर भारत के सबसे महत्वपूर्ण राज्य में खुद को पुनर्स्थापित करने के लिए अपना रही है।

इस यात्रा की अगुवाई कर रहे हैं कांग्रेस के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और संगठन मंत्री अनिल यादव। इस यात्रा के पांचवे दिन इलाहाबाद (अब प्रयागराज) की मेजा तहसली पहुंचने पर नेशनल हेरल्ड ने यात्रा में शामिल लोगों से बात की। अनिल यादव ने बताया कि इस यात्रा का मकसद बेआवाज़ों की आवाज़ बनना है। उन्होंने कहा कि, “कांग्रेस का रुख हमेशा समाजवादी रहा है, राजनीति में सत्ता हासिल करना महत्वपूर्ण है लेकिन सबसे पिछड़ों को सशक्त करना उससे भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।”

यूपी में कांग्रेस की नदी अधिकार यात्रा जारी, 200 से ज्यादा सभाएं कर निषाद समुदाय को उनका हक दिलाने का अभियान
यूपी में कांग्रेस की नदी अधिकार यात्रा जारी, 200 से ज्यादा सभाएं कर निषाद समुदाय को उनका हक दिलाने का अभियान
यूपी में कांग्रेस की नदी अधिकार यात्रा जारी, 200 से ज्यादा सभाएं कर निषाद समुदाय को उनका हक दिलाने का अभियान

अनिल यादव हाल के दिनों में कांग्रेस के विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि, “हमें अहसास हुआ है कि निषाद समुदाय में समाजवादी पार्टी और बीजेपी के खिलाफ जबरदस्त असंतोष है। निषाद समुदाय अपने जीवनयापन के लिए गंगा पर निर्भर है। ये लोग गंगा किनारे बेहद कठिन परिस्थतियों में जीवन गुजारते हैं। आज भी इन्हें बिजली, सड़क, स्कूल और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिली हैं।”

अनिल यादव कहते हैं, “इतना ही नहीं इन लोगों को नदी से मिले संसाधनों के इस्तेमाल के लिए भी उच्च जाति के लोगों और रेत माफिया को गुंडा टैक्स देना पड़ता है। इसीलिए हमने इस यात्रा का कार्यक्रम बनाया है ताकि समुदाय में जागृति आ सके। ” ध्यान रहे कि अनिल यादव कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की कोर टीम के सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि अभ तय तो नहीं हुआ है लेकिन कुछ समय बाद प्रियंका गांधी भी इस यात्रा का हिस्सा बनेंगी। पहली मार्च को जब यह यात्रा शुरु हुई तो उस दिन प्रियंका गांधी असम में कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार कर रही थीं।


उत्तर प्रदेश की आबादी में करीब 5 फीसदी हिस्सेदारी वाले निषाद समुदाय को यादव और पटेलों जैसे ओबीसी समुदायों की तरह कोई लाभ नहीं मिली है और उनकी हालत बेहद खराब है, साथ ही न तो उनका कोई आर्थिक उद्धार हुआ है और न ही उन्हें कोई राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिला है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का कहना है कि, "निषाद समाज से उनकी उम्मीदें छीन ली गईं, उनके हक पर डाका डाला गया लेकिन अब और ऐसा नहीं चलेगा। हम निषाद समाज के साथ नाइंसाफी नहीं होने देंगे।"

एक सभा के दौरान अजय कुमार लल्लू ने कहा कि, "लाठी खाएंगे, जेल जाएंगे लेकिन आपका अधिकार दिलाकर ही दम लेंगे। मैं भरोसा दिलाता हूं, 2022 में अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो बालू, मिट्टी, जमीन, नदी, नाले, पोखरे पर पहला अधिकार आपका होगा।"


समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव ने सबसे पहले इस समुदाय के राजनीतिक महत्व को समझा था। उत्तर प्रदेश की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले एक विश्लेषक का कहना है कि, “मुलायम यादव ने फूलन देवी के जरिए निषाद समुदाय को रिझाने की कोशिश की थी, लेकिन फूलन देवी की मृत्यु के बाद यह समुदाय समाजवादी पार्टी को छोड़कर बीजेपी के साथ चला गया था।” गौरतलब है कि 2016 में संजय निषाद ने निषाद पार्टी बनाई थी, लेकिन 2019 के चुनाव से पहले वे एनडीए के साथ हो गए।

अनिल यादव कहते हैं, “निषाद समुदाय को लगता है कि समाजवादी पार्टी और बीजेपी दोनों ने ही उनके साथ धोखा किया है। बीएसपी के साथ इस समुदाय का हमेशा से छत्तीस का आंकड़ा रहा है। ऐसे में कांग्रेस को इस समुदाय से काफी उम्मीदें हैं।” रोचक तथ्य यह है कि मंडल की राजनीति शुरु होने से पहले तक निषाद समुदाय कांग्रेस का समर्थक रहा है। इनमें से बहुत से अभी भी कांग्रेस को ही वोट देते हैं।

उत्तर प्रदेश की कुल 403 विधानसभा सीटों में से कम से कम 152 सीटों पर निषाद समुदाय की उपस्थिति है और गंगा और यमुना तट पर यह काफी बड़े इलाके में फैले हुए हैं।

यह यात्रा 21 मार्च को बलिया जिले में संपन्न होगी। राजनीतिक विश्लेष इसे कांग्रेस की एक शानदार रणनीति बता रहे हैं। वे कहते हैं, “यह पहला मौका है जब कांग्रेस नेता धूल और गंदगी भरे रास्तों पर पैदल उतरे हैं और संभवत: पहली ही बार कांग्रेस ने विभिन्न जाति समूहों तक पहुंचने के लिए रणनीतिक कार्यक्रम बनाए हैं।”

विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस द्वारा नदी अधिकार यात्रा की घोषणा के बाद से ही बीजेपी के साथ ही समाजवादी पार्टी और बीएसपी में बेचैनी है, क्योंकि वे निषाद समुदाय के वोटों पर अपना अधिकार मानते रहे हैं। वे कहते हैं, “अगर निषाद समुदाय पाला बदलता है तो 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस काफी राजनीतिक लाभ होगा।”

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