महिला दिवस पर राहुल गांधी सिंगापुर में देंगे आईएनए की ‘रानी झांसी रेजीमेंट’ को श्रद्धांजलि

सिंगापुर में ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने एशिया की पहली महिला रेजीमेंट की स्थापना की थी। इस महिला दिवस कांग्रेस अध्यक्ष इसी रेजीमेंट पर स्वतंत्रता आंदोलन की इन नायिकाओं को श्रद्धांजलि देंगे।

फोटो : सी आर केशवन
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सी आर केशवन

नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के अग्रणी देशभक्तों और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के निडर योद्धाओं में से एक थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम की धुरी रहे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष रहे। नेताजी ने जुलाई 1943 से अगस्त 1945 के बीच साहस के साथ पूर्वी एशिया में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। ब्रिटिश शासन से भारत को मुक्त कराने की उनकी दृढ़ संकल्प और साहस ने भारतीय समुदाय को न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि एकजुट भी किया। भारत के हजारों उत्साही युवाओँ, जिनमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल थे, नेताजी के अदम्य नेतृत्व और करिश्मे से मोहित होकर सिंगापुर में स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए।

नेताजी 2 जुलाई, 1943 को सिंगापुर में कलांग हवाई अड्डे पहुंचे थे। दो दिन बाद ही 4 जुलाई को भारतीय राष्ट्रीय सेना यानी आजाद हिंद फौज या आईएनए के अधिकारियों, स्वतंत्रता लीग यानी आईआईएल के प्रतिनिधियों और अन्य अहम लोगों की मौजूदगी में उन्होंने ग्रेटर ईस्ट एशिया थियेटर में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर संभाली।

इसके अगले ही दिन यानी 5 जुलाई 1943 को पादांग में नेताजी ने युवा महिला-पुरुष सैनिकों के सामने प्रसिध्द पंक्तियां “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।” इसी भाषण में उन्होंने “दिल्ली चलो” नारे का ऐलान किया था।

सिंगापुर में नेताजी का पहला आम भाषण 9, जुलाई को पादांग में ही हुआ। कहा जाता है कि इस रैली में 60 हजार से ज्यादा उत्साही और जोशीले देशभक्तों ने हिस्सा लिया। ‘क्यों मैंन अपना घर और देश छोड़ा’ नाम से मशहूर इस ऐतिहासिक भाषण में भी नेताजी ने मशहूर आह्वान किया था। उन्होंने कहा था कि, "मैं बहादुर भारतीय महिलाओं की एक ‘डेथ डिफाइंग रेजीमेंट’ यानी मौत को मात देने वाली ऐसी टुकड़ी बनाना चाहता हूं, जो बिल्कुल उसी तरह तलवार लहराते हुए मैदान में उतर पड़े जिस तरह 1857 के सर्वप्रथम स्वंत्रतता आंदोलन के दौरान झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने लहराई थी।"

उनके इस ऐलान के बाद ही शायद एशिया की पहली महिला रेजीमेंट का जन्म हुआ था। इसे नाम दिया गया रानी झांसी रेजीमेंट ऑफ इंडियन नेशनल आर्मी। इस रेजीमेंट में शामिल होने के लिए के लिए देश के लिए कुछ भी कर गुजरने के जज्बे के साथ सभी क्षेत्रों की महिलाएं इसमें शामिल हुईं।

आईएनए युद्ध स्मारक

आईएनए के अनजान और बेनाम सैकड़ों योद्धाओं की स्मृति के लिए नेताजी ने आईएनए युद्ध स्मारक की नींव रखी। यह जगह उनके मशहूर भाषण देने वाली जगह से महज 500 मीटर दूर है। युद्ध स्मारक पर जो आदर्श वाक्य लिखा गया, वह है, एकता, विश्वास और बलिदान।

सिंगापुर पर अंग्रेजों का दोबारा कब्जा होने के बाद इस युद्ध स्मारक को ढहा दिया गया था। 1946 में जब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सिंगापुर का दौरा किया तो उन्होंने इस स्मारक स्थल पर श्रद्धांजलि देने की इच्छा व्यक्त की। लॉर्ड माउंटबेटन ने उन्हें ऐसा करने से मना किया, लेकिन इसके बावजूद, नेहरू ने आईएनए स्मारक गए और वहां पुष्पांजलि दी।

1995 में सिंगापुर के राष्ट्रीय विरासत बोर्ड ने इस स्थान को एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में मान्यता दी और बाद में सिंगापुर में भारतीय समुदाय के सहयोग से, पुराने स्मारक के सम्मान में एक नया स्मारक उसी स्थान पर स्थापित किया गया।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 8 मार्च, 2018 को सिंगापुर में इसी ऐतिहासिक आईएनए मेमोरियल का दौरा करने वाले हैं, जहां वे आईएनए के बहादुर सैनिकों और नेताजी के साथ ही रानी झांसी रेजिमेंट की निडर नायिकाओं को श्रद्धांजलि देंगे। रानी झांसी रेजीमेंट को श्रद्धांजलि देने का संभवत: यही सबसे उपयुक्त समय है क्योंकि 8 मार्च को ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।

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