वीडियो स्टिंग में दिखे बीजेपी के श्रीरामुलु 2010 में तत्कालीन सीजेआई को रिश्वत देने की बात करते हुए

एक स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो जारी करते हुए कांग्रेस ने गुरुवार को कर्नाटक में बीजेपी उम्मीदवार बी श्रीरामुलु पर उंगली उठाई। वीडियो में बी श्रीरामुलु तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश को 100 करोड़ रुपए रिश्वत देने की बात करते दिख रहे हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कर्नाटक कांग्रेस ने दावा किया है कि भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन ने अपने रिटायरमेंट के ठीक एक दिन पहले जी जनार्दन रेड्डी की माइनिंग कंपनी के हक में फैसला दिया था, इसके लिए रेड्डी ने उन्हें 100 करोड़ रुपए रिश्वत की पेशकश की थी।

कर्नाटक कांग्रेस ने गुरुवार को बेंग्लुरु में एक स्टिंग वीडियो जारी किया, जिसमें मोलाकलमुरु और बादामी सीट से बीजेपी उम्मीदवार और बलारी से मौजूदा सांसद बी श्रीरामुलु को पूर्व मुख्य न्यायधीश के जी बालाकृष्णन के दामाद श्रीरंजन और जनार्दन रेड्डी, कैप्टन रेड्डी और स्वामीजी के साथ ही अन्य लोगों की बातचीत दिखाई गई है। बालारी से सांसद बी श्रीरामुलु रेड्डी बंधुओं के बेहद करीबी साथी हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि वीडियो सिर्फ इसलिए बनाया जा सका, क्योंकि वादे के मुताबिक रिश्वत का पैसा नहीं दिया गया था।

कांग्रेस ने कहा कि 2010 के जनवरी और मई के बीच जनार्दन रेड्डी, श्रीरामुलु, कैप्टन रेड्डी, स्वामीजी और श्रीरंजन के बीच कई मुलाकातें हुई थीं। श्रीरंजन पूर्व चीफ जस्टिस के दामाद हैं। कांग्रेस का आरोप है कि इन मुलाकातों में रिश्वत के तौर पर 500 करोड़ रुपए की बात हुई थी, जिसमें से 100 करोड़ रुपए देकर जी जनार्दन रेड्ड् की कंपनी के हक में फैसला कराया गया था। जनार्दन रेड्डी पर कई माइनिंग घोटालों के आरोप हैं।

प्रेस कांफ्रेंस में कर्नाटक कांग्रेस नेताओँ ने बताया कि कैसे नवंबर 2009 में आंध्र प्रदेश सरकार ने जनार्दन रेड्डी की कंपनी ओबालापुरम माइनिंग कंपनी के माइनिंग करने यानी खनिज निकालने पर पाबंदी लगा दी थी। फरवरी 2010 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार के इस आदेश को रद्द करते हुए कंपनी को माइनिंग करने की इजाजत दे दी थी।

ये मानते हुए कि आंध्र प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले को विशेष याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी, ओबालापुरम माइनिंग कंपनी ने आंध्र प्रदेश सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का दखल रोकने के सिलसिले में बातचीत की थी।

इसके बाद 11 मार्च 2010 को आंध्र प्रदेश सरकार ने विशेष अवकाश याचिका यानी एसएलपी दाखिल की। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दावे की जांच के लिए सर्वे करने का आदेश दिया, साथ ही यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश जारी किए। सर्वे की रिपोर्ट 9 अप्रैल 2010 को आई, जिसमें जबरदस्त अनियमितताओं का हवाला देते हुए माइनिंग पर पूरी तरह रोक लगाने की सिफारिश की गई।

लेकिन, 10 मई 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने रेड्डी की कंपनी के पक्ष में फैसला दे दिया और ओबालापुरम माइनिंग कंपनी को उस इलाके में माइनिंग करने की इजाजत दे दी। इस फैसले के अगले ही दिन यानी 11 मई 2010 को चीफ जस्टिस के जी बालाकृष्णन रिटायर हो गए।

कांग्रेस ने सवाल पूछा कि अगर सर्वे रिपोर्ट में जबरदस्त अनियमितताओं की बात कही गई थी, तो फिर सुप्रीम कोर्ट ने ओएमसी यानी ओबालापुरम माइनिंग कंपनी को माइनिंग की इजाजत दे दी और जनार्दन रेड्डी के खिलाफ मामले को कमजोर कर दिया।

कांग्रेस ने मांग की कि इस मामले पर प्रधानमंत्री कर्नाटक के लोगों को जवाब दें कि, ‘आखिर क्यों बेलारी गैंग को कर्नाटक को लूटने की इजाजत क्यों दी गई’, और साथ ही इस रिश्वत कांड की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग उठाई।

यह वीडियो सामने आने के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बेंग्लुरु में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि, “कई फेक स्टिंग वीडियो सामने आ रहे हैं, उन पर आंखें बंद करके विश्वास मत करना, बल्कि उनकी सत्यता की जांच कर लेना।”

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