कांग्रेस ने कहा- निर्वाचन आयोग का विपक्षी दलों के साथ है मनमाना रवैया, इससे कमजोर होगा लोकतंत्र
जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव आयोग ने मनमाने ढंग से प्रत्येक पार्टी से केवल 2 प्रतिनिधियों को ही अनुमति दी, जिससे हममें से कई लोग आयोग से मुलाकात नहीं कर सके। मैं स्वयं लगभग 2 घंटे तक प्रतीक्षालय में बैठा रहा।

कांग्रेस पार्टी ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध करने के लिए उससे मुलाकात करने गए ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के नेताओं से साथ मनमाना रवैया दिखाया और उसका यह व्यवहार लोकतंत्र की बुनियादी संरचना को कमजोर करता है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कटाक्ष करते हुए कहा कि आखिर इस आयोग के अभी कितने ‘मास्टर स्ट्रोक’ देखने बाकी हैं। जयराम रमेश ने दावा किया कि प्रत्येक दल से सिर्फ दो प्रतिनिधियों को ही मिलने की अनुमति दी गई जिससे कई नेता आयोग के सदस्यों से मुलाकात नहीं कर सके तथा वह स्वयं लगभग दो घंटे तक प्रतीक्षालय में बैठे रहे।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि आयोग ने सभी दलों के दो-दो प्रतिनिधियों से मिलने का फैसला किया ताकि सभी के विचारों को सुना जा सके। 'इंडिया' गठबंधन के कई घटक दलों के नेताओं ने बिहार में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर बुधवार को निर्वाचन आयोग का रुख कर उसे अपनी चिंताओं से अवगत कराया था और इस कवायद के समय को लेकर सवाल उठाया था।
उन्होंने दावा किया कि इस प्रकिया से बिहार के 20 प्रतिशत मतदाताओं को मतदान से वंचित होना पड़ सकता है। जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘इंडिया’ गठबंधन के प्रतिनिधिमंडल ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर निर्वाचन आयोग से कल शाम मुलाकात की। पहले आयोग ने मिलने से इनकार कर दिया था, लेकिन अंततः दबाव में आकर प्रतिनिधिमंडल को बुलाया गया।"
उन्होंने कहा, "आयोग ने मनमाने ढंग से प्रत्येक पार्टी से केवल दो प्रतिनिधियों को ही अनुमति दी, जिससे हममें से कई लोग आयोग से मुलाकात नहीं कर सके। मैं स्वयं लगभग दो घंटे तक प्रतीक्षालय में बैठा रहा।"
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले छह महीने में आयोग का रवैया लगातार ऐसा रहा है, जो ‘‘हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना को कमजोर करता है।"
जयराम रमेश इस बात पर जोर दिया कि निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक निकाय है और यह विपक्ष के सुनवाई के अनुरोधों को नियमित रूप से अस्वीकार नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘आयोग को संविधान की भावना और उसके प्रावधानों के अनुरूप काम करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों से बातचीत के लिए मनमाने नियम नहीं बना सकता -जैसे कि प्रतिनिधियों की संख्या, उनके पद, या यह तय करना कि कौन अधिकृत है और कौन नहीं।
जयराम रमेश ने कहा, "जब प्रतिनिधिमंडल ने इन नियमों को मनमाना और भ्रामक बताया, तो आयोग ने जवाब दिया: ‘यह नया आयोग है।’ यह सुनकर चिंता और गहरी हो जाती है, इस ‘नए’ आयोग की अगली चाल क्या होगी? कितने और ‘मास्टरस्ट्रोक’ देखने बाकी हैं?"
निर्वाचन आयोग ने विभिन्न दलों की ओर से ‘‘अनधिकृत’’ व्यक्तियों द्वारा ‘‘बार-बार और अलग-अलग’’ बैठक के अनुरोध किए जाने के बीच बुधवार को फैसला किया कि वह केवल राजनीतिक दलों के प्रमुखों से इस तरह के संवाद का संज्ञान लेगा।
इसे भी पढ़ें: निर्वाचन आयोग पहुंचे 'इंडिया' गठबंधन के नेता, बिहार में मतदाता गहन पुनरीक्षण का विरोध किया, नहीं मिला ठोस जवाब
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia