कांग्रेस बोली- आदिवासियों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर रखने की सुनियोजित साजिश है SIR

कांग्रेस के आदिवासी विभाग के प्रमुख विक्रांत भूरिया ने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया जानबूझकर ऐसे समय में की गई, जब आदिवासी घरों में नहीं हैं। ये आदिवासियों को सुनियोजित तरीके से मतदान की प्रक्रिया से बाहर करने की साजिश है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
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पीटीआई (भाषा)

कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) आदिवासियों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर रखने की सुनियोजित साजिश है। पार्टी के आदिवासी विभाग के प्रमुख विक्रांत भूरिया ने यह भी कहा कि आदिवासियों के लिए एक प्रवासन नीति बननी चाहिए।

उन्होंने मध्य प्रदेश में सिविल जज परीक्षा-2022 के परिणाम को लेकर भी सवाल खड़े किए और कहा कि एक भी आदिवासी का चयन नहीं किया गया, जो आरक्षण खत्म करने का एक तरीका है।

भूरिया ने कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘‘एसआईआर में की गई जल्दबाजी से आदिवासियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर राज्यों में आदिवासी पलायन पर हैं। हालात ये हैं कि 70 प्रतिशत से ज्यादा गांव खाली पड़े हुए हैं। ये सरकार आदिवासियों को रोजगार नहीं दे पाई।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘एसआईआर की प्रक्रिया जानबूझकर ऐसे समय में की गई, जब आदिवासी घरों में नहीं हैं। ये आदिवासियों को सुनियोजित तरीके से मतदान की प्रक्रिया से बाहर करने की साजिश है।’’


उन्होंने मध्य प्रदेश में सिविल जज परीक्षा-2022 का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘मध्य प्रदेश में 2 करोड़ के करीब आदिवासी हैं, लेकिन सिविल जज परीक्षा 2022 का परिणाम दिखाता है कि भाजपा और उसके ‘सिस्टम’ को एक भी काबिल आदिवासी नहीं मिला।’’

भूरिया ने दावा किया कि इस परीक्षा में 121 सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित थीं, लेकिन एक का भी चयन नहीं हुआ तथा साल 2021 से यही स्थिति चली आ रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि यह आरक्षण को ख़त्म करने का एक सुनियोजित तरीका है। कांग्रेस नेता ने कहा कि यह परीक्षा रद्द मानी जाए और इसकी उच्च स्तरीय जांच हो।

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