हरियाणा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी कांग्रेस, भूपेंद्र हुड्डा का ऐलान
कांग्रेस नेता भूपेंद्र हुड्डा ने कहा है कि हरियाणा की सरकार सर्वाधिक भ्रष्ट सरकार है और लोगों का विश्वास इस पर से उठ गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को समर्थन देने वाले कई विधायक समर्थन वापस ले चुके हैं ऐसे में कांग्रेस खट्टर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगी।
![फोटो : सोशल मीडिया](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2021-02%2F51b136e3-95f0-4c60-889e-0c617c8987c4%2FHooda_B_S.jpg?rect=0%2C0%2C1200%2C675&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा है कि हरियाणा की मौजूदा बीजेपी-जेजेपी सरकार लोगों का विश्वास खो चुकी है और कांग्रेस उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार को समर्थन देने वाले कई विधायक इस्तीफा दे चुके हैं और समर्थन वापसी कर चुके हैं। ऐसे में इस सरकार को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है।
चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में हुड्डा ने कहा कि, "हरियाणा एक तरफ जहां सर्वाधिक बेरोजगारी के शिकार प्रदेश में शामिल है वहीं अब कोरोना की त्रासदी के बाद महंगाई की मार से बेहाल है। हरियाणा कभी सबसे सस्ते पेट्रोल-डीजल के लिए जाना जाता था। पर आज हालात ऐसे हैं कि कांग्रेस सरकार के समय के मुकाबले लगभग दोगुना वैट लगाकर बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार अपना खजाना भर रही है।"
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार में हरियाणा में डीजल पर 9.2 प्रतिशत वैट था, लेकिन आज तकरीबन 18 प्रतिशत टैक्स सरकार वसूल रही है। यही हाल पेट्रोल के हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने प्रदेश की गठबंधन सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि यह सरकार बेरोज़गारी, महंगाई और भ्रष्टाचार बढ़ाने की नीति पर काम कर रही है। यह बात हुड्डा ने चंडीगढ़ में कही।
उन्होंने किसान आंदोलन का ज़िक्र करते हुए कहा कि सरकार को जल्द आंदोलन का समाधान निकालना चाहिए। सरकार को अपनी तरफ से दो कदम आगे बढ़ाते हुए किसानों से बात करते हुए और उनकी मांगें माननी चाहिए। हुड्डा ने कहा कि राजस्व हासिल करने के लिए प्रदेश सरकार लगातार पेट्रोल-डीज़ल पर वैट बढ़ाने में लगी है।
हुड्डा ने याद दिलाया कि उनके कार्यकाल के दौरान हरियाणा में डीजल सबसे सस्ता था, क्योंकि उसपर वैट की दर सिर्फ 9.2 प्रतिशत थी। लेकिन अब वो लगभग डबल हो चुकी है। सरकार को लोगों की परेशानी समझनी चाहिए और उसे महंगाई बढ़ाने की बजाए घोटालों पर नकेल कसनी चाहिए। घोटाले रुकेंगे तो प्रदेश की आमदनी अपने आप बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि नंवबर 2020 में ज़हरीली शराब पीने से 40-50 लोगों की मौत हो गई थी। प्रदेश में बड़ा शराब घोटाला सामने आया था। एसआईटी ने इसकी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है लेकिन सरकार उसे सार्वजनिक करने को तैयार नहीं है। इसी तरह रजिस्ट्री घोटाले की रिपोर्ट को भी सरकार अलमारी में दबाकर बैठ गई है।
पूर्व मुख्मंत्री ने कहा कि सरकार को यह जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिए। अगर रिपोर्ट के तथ्य जनता के सामने आते हैं तो ये सरकार हिल जाएगी, क्योंकि इसमें कई बड़े नामों का खुलासा संभव है।
हुड्डा ने कहा कि बिजली महकमे की एसडीओ भर्ती ने साबित कर दिया है कि नौकरियों में प्रदेश के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण का फैसला भी महज जुमला है। एक तरफ सरकार दावा करती है कि वह प्राइवेट नौकरियों में भी हरियाणवियों को आरक्षण देगी। जबकि सरकार खुद की भर्तियों में स्थानीय युवाओं की बजाए अन्य राज्यों के 75 प्रतिशत लोगों को नौकरी दे रही है। एक बार फिर एसडीओ भर्ती में सरकार ने हरियाणा की प्रतिभाओं को दरकिनार करते हुए अन्य राज्य के युवाओं को तरजीह दी है। सामान्य श्रेणी के 90 पदों के लिए 99 लोगों का चयन हुआ है। 9 लोग वेटिंग लिस्ट में हैं, लेकिन इन 99 में से सिर्फ 22 युवा हरियाणा के हैं।
हुड्डा ने कहा कि सामान्य श्रेणी के बाद बीजेपी-जेजेपी सरकार अब आरक्षित श्रेणी ‘एससी और बीसी’ के साथ भी बहुत बड़ा खिलवाड़ कर रही है। सरकार ने हरियाणा डोमिसाइल के लिए 15 साल रिहायश की लिमिट घटाकर अब 5 साल कर दी है यानी कोई भी व्यक्ति 5 साल तक हरियाणा में रहकर यहां का डोमिसाइल हासिल कर सकता है। इसका सीधा असर हरियाणा में एससी और बीसी वर्गों के हितों पर पड़ेगा। क्योंकि अन्य राज्य के लोग यहां का डोमिसाइल हासिल करके आरक्षित श्रेणी की नौकरियों में भी अप्लाई कर सकेंगे।
नेता प्रतिपक्ष ने सरकार की नई खेल नीति पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार ने पूरी दुनिया में सराही गई कांग्रेस सरकार की “पदक लाओ, पद पाओ” नीति को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों से एचसीएस, एपीएस और प्रमोशन का अधिकार छीन लिया गया है। नई नीति के तहत पदक विजेता खिलाड़ी अब जूनियर कोच से उपनिदेशक तक के पदों पर ही नियुक्तियां हासिल कर पाएंगे। नई नीति पैरा ओलंपिक खिलाड़ियों के साथ भेदभाव करती है। पैरा ओलंपियन की नियक्ति को ग्रुप-बी पदों तक सीमित कर दिया गया है। यह उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
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