राहुल गांधी मुद्दे पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह, विपक्ष दल भी क्षेत्रीय मतभेद भुलाकर हुए लामबंद

राहुल गांधी के मुद्दे पर जहां कांग्रेस कार्यकर्ता उत्साह में हैं सरकार की लोकतंत्र विरोधी नीतियों के खिलाफ खुलकर सड़कों पर उतरे हैं, वहीं सभी विपक्षी दल अपने क्षेत्रीय मतभेद भुलाकर लामबंद हो गए हैं।

फोटो : @INCIndia
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मुद्दे पर जहां कांग्रेस कार्यकर्ता पहले से कहीं अधिक उत्साहित और जोश में हैं, वहीं छिटपुट मुद्दों को लेकर अब तक बंटा हुआ नजर आ रहा विपक्ष भी लामंबद हो गया है। राहुल की लोकसभा से सदस्यता जाने के बाद वह दल भी खुलकर कांग्रेस के साथ आ गए हैं जो अभी तक कतिपय कारणों से कांग्रेस से दूरी बनाए हुए थे।

इस बीच जहां कांग्रेस ने राहुल गांधी के मुद्दे पर देशव्यापी आंदोलन का कार्यक्रम और रणनीति बनाई है वहीं विपक्षी दल भी अपने तरीके से लोकतंत्र बचाने के लिए मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। इस बीच लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी को सरकारी आवास खाली करने का भी नोटिस दे दिया है, जिसे स्वीकार करते हुए राहुल गांधी ने कहा है कि हालांकि उनके कुछ अधिकार हैं लेकिन फिर भी वे इस नोटिस का पालन करेंगे।

सरकारी आवास खाली करने का नोटिस मिलने के बाद कांग्रेस समेत तमाम गैर राजनीतिक संगठनों ने एक अभियान शुरु किया है जिसके तहत देशभर के कांग्रेस कार्यकर्ता और अन्य आम लोग राहुल गांधी को उनके घर में रहने की पेशकश कर रहे हैं। ट्विटर पर "मेराघरआपकाघर" हैशटैग ट्रेंड भी कर रहा है। इसके अलावा देश के अलग अलग हिस्सों में कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं।

इसके इतर राहुल गांधी को दूसरे विपक्षी दलों का भी समर्थन मिला है। इनमें खासतौर से वे पार्टियां भी शामिल हैं जो अभी तक कांग्रेस से दूरी बनाए हुए थीं। पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस, दिल्ली की आम आदमी पार्टी और तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति जो परंपरागत रूप से कांग्रेस को अपने राज्यों में राजनीतिक प्रतिद्वंदी मानती रही हैं, अब खुलकर कांग्रेस के साथ हैं।

इस दौरान बीजेपी के आदर्शन सावरकर पर राहुल गांधी की टिप्पणी को लेकर शिवसेना के साथ हल्का सा तनाव सामने आया था जब उद्धव ठाकरे ने इस बयान का विरोध किया था। लेकिन अब इसे भी शांत कर लिया गया है। सूत्र बतातें हैं कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की पहल पर इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है। इस तनाव को उस वक्त बल मिला था जब सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर हुई विपक्षी दलों की बैठक में शिवसेना ने हिस्सा नहीं लिया था। बताया जाता है कि इसके बाद शरद पवार ने मध्यस्थता की और मामला सुलझा लिया गया।

इसके बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने बयान दिया कि कांग्रेस के साथ कुछ आंतरिक मुद्दे थे, जिन्हें सुलझा लिया गया है और अब शिवसेना (उद्धव ठाकरे) विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होगी।


इस सबके बीच कांग्रेस और सभी विपक्षी दल अडानी मुद्दे पर जेपीसी की मांग पर अड़े हुए हैं। आरोप है कि मोदी सरकार ने अडानी समूह को फायदा पहुंचाया है। लेकिन संसद में सत्तारूढ़ दल के सदस्य ही कार्यवाही बाधित कर रहे हैं और संसद नहीं चलने दी जा रही है। हद यह है कि वित्त बिल भी बिना किसी बहस के ही पास करा लिया गया।

इस बीच कांग्रेस लगातार कह रही है कि राहुल गांधी के मामले को वह ऊपरी अदालत में लेकर जाएगी। कांग्रेस ने भरोसा जताया है कि ऊपरी अदालतों में सूरत कोर्ट दिए गए फैसले को गलत साबित किया जाएगा राहुल गांधी की दोषसिद्धि या तो रद्द कर दी जाएगी या उस पर रोक लग जाएगी। अगर ऐसा होता है तो लोक सभा को राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करनी होगी।

इसके संकेत इससे भी मिलते हैं कि लक्षद्वीप से लोकसभा के सदस्य मोहम्मद फैजल का मामला भी सामने है। एनसीपी सांसद फैजल को पिछले साल हत्या की कोशिश के एक मामले में दोषी पाया गया था और उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद लोकसभा से उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी। लेकिन जनवरी 2023 में केरल हाई कोर्ट ने फैजल की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी। इसके बावजूद लोकसभा ने उनकी सदस्यता बहाल नहीं की थी, जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट में आज ही यानी 29 मार्च को इस मामले पर सुनवाई होनी थी,  लेकिन इससे ठीक पहले लोकसभा ने फैजल की सदस्यता बहाल कर दी।

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