ओआईसी ने भारत को आतंकी देश करार दिया, ऐसी बैठक का हिस्सा बन मोदी सरकार ने देश हित को बेच डाला: कांग्रेस

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि हम एनडीए, बीजेपी सरकार, पीएम मोदी और उनकी विदेश मंत्री से पूछना चाहते हैं कि क्या यही आपकी कूटनीतिक उपलब्धि है कि अबूधाबी जाकर भारत के सर्वोच्च राष्ट्रहित को आपने बेच दिया।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

अबूधाबी में आयोजित ओआईसी की बैठक में भारत के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का इस बैठक में हिस्सा लेने पर कांग्रेस पार्टी ने कड़ी निंदा की है। दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने प्रेस से बात की। उन्होंने कहा, “ओआईसी ने जम्मू-कश्मीर पर एक प्रस्ताव पारित किया। उस प्रस्ताव में भारत को एक आतंकवादी देश करार दिया गया। ओआईसी के प्रस्ताव में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर पर भारत का अवैध कब्जा है। प्रस्ताव में कहा गया कि सारे ओआईसी देशों को कश्मीरियों की मदद करनी चाहिए। जैसा कि भारत अपने नागरिकों का ध्यान नहीं रख सकता।”

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “जिस तरह आतंकवाद जम्मू-कश्मीर में प्रोत्साहित किया जा रहा है, वह सबको समझ आता है। हम एनडीए, बीजेपी सरकार, पीएम मोदी और उनकी विदेश मंत्री से पूछना चाहते हैं कि क्या यही आपकी कूटनीतिक उपलब्धि है कि अबूधाबी जाकर भारत के सर्वोच्च राष्ट्रहित को आपने बेच दिया। ओआईसी के जिन प्रस्तावओं को भारत नकार दिया करता था, उन्हें तरजीह नहीं देता था। वहां जाकर उस बैठक में हिस्सा लेकर, उसका विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अनुमोदन कर दिया।”

मनीष तिवारी ने मोदी सरकार से पूछा, “आप अबूधाबी गए, उसके बदले में भारत को क्या मिला, भारत को आतंकवादी राष्ट्र करार दिया गया। यह कहा गया कि जम्मू-कश्मीर भारत के अवैध कब्जे में है। इससे बड़ा भारत के सर्वोच्च राष्ट्रहित से और कोई खिलवाड़ नहीं हो सकता है। कांग्रेस पार्टी बीजेपी और एनडीए सरकार की कड़े शब्दों में निंदा करना चाहती है।”

कांग्रेस नेता ने कहा कि शायद पहली बार है कि ओआईसी के जिन प्रस्तावों को तरजीह नहीं मिलती थी, भारतीय आतंकवाद शब्दावली का इस्तेमाल नहीं किया गया था। आपने जाकर उसका अनुमोदन किया, और ऐसे घटिया और घिनौने शब्दों में भारत की निंदा के आप हिस्सा बने।

गौरतलब है कि ओआईसी में भारत को बुलाए जाने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार इसे अपनी कूटनीति जीत बता रही थी। यही नहीं पकिस्तान के विदेश मंत्री द्वारा इस बैठक का बहिष्कार करने को भी मोदी सरकार ने अपनी जीत बताई थी।

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