दिल्ली में फिर से कोरोना का कहर, 24 घंटे में 7178 नए केस, अस्पतालों पर फिर बढ़ने लगा दबाव

राजधानी दिल्ली में पिछले तीन दिनों से लगातार 6,000 से अधिक कोरोना के नए मामले रोज सामने आ रहे हैं, जिससे दिल्ली में संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 4,23,831 हो गया है,। इसके साथ ही शहर में कोरोना से मरने वालों की संख्या भी बढ़कर 6833 हो गई है।

फोटोः सोशल मीडिया
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आसिफ एस खान

राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण की एक और लहर देखी जा रही है और यहां के अस्पतालों में पहुंचने वाले रोगियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है, जिससे अस्पतालों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। इस बीच दिल्ली में वायु प्रदूषण भी बढ़ने लगा है, जो कि राजधानी के लोगों के लिए दोहरी मार के तौर पर देखा जा रहा है।

दिल्ली में पिछले तीन दिनों से लगातार 6,000 से अधिक कोविड-19 के मामले सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के 7178 नए केस सामने आए। इससे पहले गुरुवार और बुधवार को भी छह हजार से अधिक मामले देखने को मिले थे।

नए मामलों में इस बढ़ोतरी को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी स्वीकार कर चुके हैं कि संक्रमण की यह 'तीसरी लहर' है, जो राष्ट्रीय राजधानी को प्रभावित कर रही है। इससे पहले शहर में 23 जून और 17 सितंबर को वायरस के दो शीर्ष स्तर (पीक) देखे जा चुके हैं। इसके बाद अब दिल्ली के सामने तीसरी लहर का बड़ खतरा खड़ा है।

तीसरी लहर को लेकर इसलिए भी चिंता बढ़ने लगी है कि दिल्ली कोराना वायरस मामलों के साथ ही गंभीर प्रदूषण की दोहरी मार झेल रही है। सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण ऐसे संक्रमित रोगियों के लिए और भी खतरनाक है, जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है, जैसे हृदय या फेफड़े संबंधी बीमारी। ऐसे संक्रमित रोगियों के लिए हालात बदतर हो सकते हैं।

दिल्ली सरकार के राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के चिकित्सा निदेशक डॉ. बी. एल. शेरवाल ने बताया, "पिछले महीने की तुलना में भर्ती होने की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। त्योहारी सीजन में कोविड के मानकों का ढिलाई से पालन होने से दैनिक संख्या में भारी उछाल आया है।" डॉ. शेरवाल ने कहा कि सामाजिक दूरी के मानदंडों का पालन करने में सामाजिक जिम्मेदारी की कमी, मास्क पहनने, उच्च प्रदूषण के स्तर का पालन न करना और मौसम में बदलाव भी मामलों में वृद्धि का कारण है।

एक और चिंताजनक कारण कोरोना वायरस पॉजिटिव दर में वृद्धि है, जो उन लोगों का प्रतिशत है, जो किए गए कुल परीक्षणों में से पॉजिटिव पाए गए हैं। अक्टूबर के पहले सप्ताह में कुल लोगों के किए गए परीक्षण में पॉजिटिव पाए जाने वाले लोगों की औसत दर जहां 5.3 प्रतिशत पर थी, वह अब 12.8 प्रतिशत पर है। इस बढ़ी हुई दर ने गंभीर स्थिति की ओर इशारा किया है।

इसके अलावा एक और भी मुसीबत है, क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि शहर भर के अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में बिस्तर उपलब्ध नहीं हैं। दिल्ली सरकार की कोरोना को लेकर बनाए गए एप्प के अनुसार, पूरे शहर में वेंटिलेटर के साथ केवल 26 प्रतिशत आईसीयू बेड ही खाली हैं। वेंटिलेटर के बिना 23 प्रतिशत ही आईसीयू बिस्तर खाली हैं, जबकि सामान्य कोविड-19 बिस्तर भी केवल 51 प्रतिशत ही उपलब्ध हैं।

दो दिन पहले मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा था कि कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन और आईसीयू बेड में वृद्धि के साथ चिकित्सा बुनियादी ढांचे में बदलाव किया जाएगा। सरकार ने दिल्ली में भीड़-भाड़ वाले स्थानों, जैसे बाजार आदि जगहों पर परीक्षण बढ़ाने का भी निर्णय लिया है। मोबाइल परीक्षण वैन को दिल्ली में बाजारों और भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर तैनात किया जाएगा। इन स्थानों पर लोगों द्वारा परीक्षण का नि: शुल्क लाभ उठाया जा सकता है।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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