LAC विवाद पर भारत-चीन के बीच 14 घंटे से ज्यादा तक चली बैठक, जानें इस सैन्य वार्ता से क्या निकला

इस सैन्य बैठक में तय हुआ कि दोनों सेनाएं अपनी पुरानी जगह पर जाएं। बैठक में कहा गया कि अप्रैल में दोनों सेनाएं जहां थीं, उसी जगह पर लौट जाएं। वार्ता के दौरान इस पर भी जोर दिया गया कि दोनों सेनाएं अपने बड़े हथियार पीछे हटाएं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

केंद्र की मोदी सरकार चाहे जिनते भी दावे कर ले, लेकिन अभी भी लद्दाख में एलएसी के पास भारत के लिहाज से स्थिति संतोषजनक है। यही वजह है कि एलओसी विवाद को लेकर लद्दाख के चुशूल में भारत और चीन के बीच 14 घंटे से ज्यादा तक कोर कमांडर स्तर की चौथी बैठक चली। यह बैठक 14 जुलाई को सुबह साढ़े 11.30 बजे से शुरू होकर रात 2 बजे के बाद चली। बताया जा रहा है कि इस बैठक में सीमा पर तनाव वाले इलाकों में चीनी सेना के पीछे हटने पर चर्चा हुई। बताया जा रहा है कि अभी चीनी सेना पैंगॉन्ग इलाके के फिंगर-5 पर डटी हुई है। खबरों के मुताबिक, भारतीय सेना ने अप्रैल से पहले की स्थिति को बहाल करने की मांग की है।

इस सैन्य बैठक में तय हुआ कि दोनों सेनाएं अपनी पुरानी जगह पर जाएं। बैठक में कहा गया कि अप्रैल में दोनों सेनाएं जहां थीं, उसी जगह पर लौट जाएं। वार्ता के दौरान इस पर भी जोर दिया गया कि दोनों सेनाएं अपने बड़े हथियार पीछे हटाएं। बताया जा रहा है कि कोर कमांडर की बैठक से पहले ही चीन की सेना पीएलए फिंगर फोर से फिंगर फाइव की ओर लौट गई है।


भारतीय सेना की ओर से चीन को यह संदेश दे दिया गया है कि फिंगर-8 से वह पीछे जाएं और अप्रैल से पहले की स्थिति को बहाल किया जाए। बताया जा रहा है कि फिलहाल, चीनी सेना फिंगर-4 से पीछे हटकर फिंगर-5 पर चली गई है। खबरों के मुताबिक, फिंगर-4 को नो पेट्रोलिंग जोन घोषित किया गया है। ऐसे में दोनों देशों की सेनाएं फिंगर-4 में पेट्रोलिंग नहीं करेंगी।

गौरतलब है कि पैंगॉन्ग लेक इलाके में 5 मई को चीनी सैनिक घुस आए थे। इसी दौरान भारतीय सेना से उनका टकराव हुआ था। झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं यह भी दावा किया गया था कि इस दौरान 43 चीनी सैनिकों को भारतीय सेना के जवानों ने मार गिराया था। इसके बाद से झील के किनारे करीब 2 महीने से तनाव के हालात हैं। चीन ने यहां अपनी नई पोजीशंस बना ली थी।

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