नरोडा दंगा मामले में कोर्ट का फैसला रूल ऑफ लॉ और संविधान की हत्या: शरद पवार

बता दें कि अहमदाबाद के नरोडा गाम इलाके में 2002 में हुए दंगे के दौरान 11 मुसलमानों की हत्या हो गई थी। इसी मामले में गुरुवार को गुजरात की एक अदालत ने सभी जीवित 67 आरोपियों को बरी कर दिया गया।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने शुक्रवार को 2002 के नरोडा गाम दंगा मामले में सभी 67 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। शरद पवार ने बेहद तल्ख लहजे में कोर्ट के फैसले को कानून के शासन और संविधान की हत्या करार दिया। घाटकोपर में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं की एक सभा में बोलते हुए उन्होंने खारघर में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार समारोह में लू लगने से लोगों की मौत के लिए महाराष्ट्र सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया। साथ ही इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की।

बता दें कि गोधरा ट्रेन आगजनी  की घटना के बाद अहमदाबाद के नरोडा गाम इलाके में 2002 में हुए दंगे के दौरान 11 मुसलमानों की हत्या हो गई थी। इसी मामले में गुरुवार को गुजरात की एक अदालत ने सभी जीवित 67 आरोपियों को बरी कर दिया गया। जनसत्ता की खबर के मुताबिक शरद पवार ने फैसले की आलोचना करते हुए कहा, ”कानून और संविधान के शासन की हत्या कर दी गई है। यह कल के फैसले से साबित हो गया है।”

एनसीपी नेता ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के पुलवामा हमले को लेकर किए गए खुलासों को लेकर भी सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ द्वारा एक विमान की मांग की गई थी, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया था। इतना नहीं इस मामले को दबाने की भी कोशिश की गई और उस वक्त के राज्यपाल को घटना के बारे में तथ्यों को उजागर नहीं करने के लिए कहा गया।


वहीं महाराष्ट्र में एक सरकार के कार्यक्रम में गर्मी के कारण लोगों की मौत को लेकर भी शरद पवार ने शिंदे सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि शिंदे सरकार की लापरवाही के कारण लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। उन्होंने कहा कि केवल एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा जांच से त्रासदी की जिम्मेदारी तय होगी। शरद पवार ने भारतीय जनता पार्टी पर विपक्षी दलों को खत्म करने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया।

गौरतलब है कि 21 साल पहले गुजरात के नरोडा गाम में हुए दंगों में 11 लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में पूर्व बीजेपी विधायक और गुजरात सरकार में मंत्री रहीं माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत 82 लोग आरोपी थे। इनमें से कई आरोपियों की मौत हो गई थी। वही जीवित 67 आरोपियों को गुजरात की एक कोर्ट ने बरी कर दिया था।

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