विरोध की आवाज दबाने की कार्यवाही: कई लेखकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और पत्रकारों पर छापेमारी, गिरफ्तारी

पुणे पुलिस मंगलवार सुबह से देश के कई हिस्सों में प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं, विचारकों, लेखकों, पत्रकारों और वकीलों के घरों और दफ्तरों पर छापे मार रही है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक ये छापेमारी भीमा कोरेगांव मामले में की जा रही है।

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नवजीवन डेस्क

विरोध की आवाज़े दबाने की कार्यवाही करते हुए महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने मंगलवार सुबह देश के कई शहरों में एक साथ कई लेखकों, विचारकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और पत्रकारों के घरों-दफ्तरों पर छापेमारी कर उन्हें हिरासत में लिया है। खबर आ रही है कि पुलिस ने सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजालेव्‍स, वरवरा राव और गौतम नवलखा को हिरासत में ले लिया है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक ये छापेमारी भीमा कोरेगांव मामले में की जा रही है और जिन लोगों पर छापेमारी की गई है उन पर माओवादियों से संबंध होने का आरोप है। जिन लोगों पर छापेमारी की गई है उनमें हैदराबाद में रह रहे क्रांतिकारी लेखक और माओवादी विचारक वरवर राव, मुंबई में सामाजिक कार्यकर्ता वरनॉन गोंजालेव्‍स, अरुण परेरा, छत्‍तीसगढ़ में सुधा भारद्वाज और पत्रकार और सामाजिककार्यकर्ता गौतम नवलखा शामिल हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस साल जून में गिरफ्तार किए गए पांच लोगों से पूछताछ में इन लोगों के नाम सामने आए थे, इसके बाद ही छापेमारी की गई है।

पुलिस का दावा है कि 31 दिसंबर 2017 के एल्गर परिषद में इन लोगों के भाषणों से हिंसा भड़क उठी थी। यह कार्यक्रम भीमा कोरेगांव लड़ाई की 200वीं जयंती के मौके पर किया गया था। इंडियन एक्स्प्रेस के मुताबिक एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की कि मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार गौतम नवलखा के दिल्ली स्थित घर पर, लेखक और विचारक वरवरा राव के घर पर हैदराबाद में. सामाजिक कार्यकर्ता वरनन गोंजाल्वेस और अरुण परेरा के मुंबई स्थित घर पर सिविल राइट्स वकील सुधा भारद्वाज के दिल्ली स्थित घर पर छापेमारी की गई है।

विरोध की आवाज दबाने की कार्यवाही: कई लेखकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और पत्रकारों पर छापेमारी, गिरफ्तारी

छत्तीसगढ़ की तेज-तर्रार अधिवक्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को भीमा कोरेगांव मामले में आज हिरासत में ले लिया गया। उनके घर से जो सामान बरामद किया गया है, उसे उन्हें नहीं दिखाया गया है। और इसके बारे में सुधा भारद्वाज ने आशंका जताई है कि पुलिस इस सामान के साथ छेड़छाड़ कर सकती है।

इस बारे में नवजीवन को दिल्ली में वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने बताया कि उनकी बात सुधा भारद्वाज से हुई थी और उन्होंने यह आशंका जताई कि उनके घर से बरामद चीजों के साथ छेड़खानी हो सकती है। सुधा भारद्वाज के घर से दो लैपटॉप, दो फोन, एक पेनड्राइव और डायरी आदि पुलिस ने अपने छापे से बरामद की है। सुधा भारद्वाज ने वृंदा का बहुत स्पष्ट ढंग से बताया कि पुलिस ने उनके डाटा रिकॉर्ड को नहीं दिखाया है। इसलिए उन्हें आशंका है कि पुलिस डाटा को अपने हिसाब से तोड़-मरोड़ सकती है, उसमें अपनी तरफ से डाटा डाल सकती है, डायरी में भी चीजों को लिख सकती है। ये आशंकाएं सुधा भारद्वाज ने जताई हैं।

गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से सुधा भारद्वाज के इर्द-गिर्द शहरी माओवादी होने का दुष्प्रचार रचा जा रहा था। इसके खिलाफ वह बहुत मजबूती से अपनी बात भी रखती रही है। पिछली बार जिन पांच लोगों की गिरफ्तारी भीमा कोरेगांव के मामले में की गई थी, उसमें पकड़े गये सुरेंद्र गाडलिंग सहित बाकी लोगों की गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली में प्रेस कान्फ्रेंस की थी। इसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि जो लोग दलितों और पिछड़ों के लिए काम कर रहे हैं, उन्हें इस तरह से फंसाया जा रहा है।

पुणे पुलिस ने जून में एल्गर परिषद के आयोजक सुधीर धवाले समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। धवाले मुंबई स्थित रिपब्लिकन पैंथर्स जाति अंत्याची चालवाल के नेता हैं। धवाले के अलावा जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया था उनमें कमिटी फॉर रिलीज़ ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स से जुड़ी दिल्ली की सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीपुल्स लॉयर्स से जुड़े नागपुर के वकील सुरेंद्र गाडलिंग, नागपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शोमा सेना और महेश राउत शामिल हैं। पुलिस ने इन लोगों पर गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया है।

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Published: 28 Aug 2018, 1:01 PM