मणिपुर के चुराचांदपुर में कर्फ्यू में 3 घंटे की ढील दी गई, कई जिलों में तनाव बरकरार, पलायन जारी

मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने कहा कि विभिन्न जिलों में हिंसा में 28 से 30 लोग मारे गए हैं, जबकि स्थानीय मीडिया ने अस्पताल सूत्रों के हवाले से कहा कि 3 मई से अब तक प्रतिद्वंद्वी जातीय के हमलों में महिलाओं सहित करीब 50 से 55 लोग मारे गए हैं।

मणिपुर के चुराचांदपुर में कर्फ्यू में 3 घंटे की ढील दी गई
मणिपुर के चुराचांदपुर में कर्फ्यू में 3 घंटे की ढील दी गई
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नवजीवन डेस्क

मणिपुर में हिंसा के बाद अभी भी कई जिलों में तनाव व्याप्त है और सेना तथा केंद्रीय अर्ध-सैन्य बल संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में लगातार निगरानी रखे हुए हैं। इस बीच सबसे अशांत चुराचांदपुर जिले में प्रशासन ने रविवार सुबह तीन घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी। चुराचांदपुर के जिलाधिकारी शरथ चंद्र अरोजू ने एक अधिसूचना में कहा कि आगे ढील देने के बारे में समीक्षा की जाएगी और मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति के आकलन के आधार पर अधिसूचित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने एक ट्वीट में कहा, चुराचांदपुर जिले में कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार और राज्य सरकार तथा विभिन्न हितधारकों के बीच बातचीत के बाद, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कर्फ्यू में आंशिक रूप से ढील दी जाएगी..। वहीं मणिपुर प्रशासन का कहना है कि जिले में कर्फ्यू अभी जारी रहेगा और क्षेत्र शांति बहाल होने पर ही कर्फ्यू पूरी तरह हटाया जाएगा।

रविवार को जारी सेना की विज्ञप्ति में कहा गया कि, सेना और असम राइफल्स के 120-125 कॉलम के प्रयासों के कारण आशा की किरण दिखी है, जो पिछले 96 घंटों से सभी समुदायों के नागरिकों को बचाने, हिंसा पर अंकुश लगाने और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। हिंसा की कोई बड़ी घटना नहीं हुई है और इसलिए चुराचांदपुर में रविवार सुबह 7-10 बजे तक ढील दी जा रही है। उसके तुरंत बाद सुरक्षा बलों द्वारा फ्लैग मार्च किया जाएगा।

पिछले 24 घंटों में सेना ने इंफाल घाटी के भीतर मानव रहित विमानों और सेना के हेलीकॉप्टरों के माध्यम से हवाई निगरानी बढ़ा दी है। सूत्रों ने कहा कि अब तक 23,000 से अधिक नागरिकों को बचाया जा चुका है और उन्हें सैन्य ठिकानों और सैन्य चौकियों में ले जाया गया है। मणिपुर में अशांति के बीच दो हजार से अधिक पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने सीमा पार कर असम के कछार जिले में प्रवेश कर सरकार द्वारा प्रायोजित सात शिविरों में शरण ली है। वही 200 से अधिक लोगों, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं, ने मिजोरम के सैतुअल और वैरेंगटे जिलों में शरण ली हुई है।


मणिपुर सरकार के नवनियुक्त सुरक्षा सलाहकार, सीआरपीएफ के पूर्व प्रमुख कुलदीप सिंह ने कहा कि मणिपुर के विभिन्न जिलों में जातीय हिंसा की घटनाओं में कम से कम 28 से 30 लोग मारे गए हैं। हालांकि, स्थानीय मीडिया ने अस्पताल सूत्रों के हवाले से कहा कि तीन मई से कम से कम छह जिलों में प्रतिद्वंद्वी जातीय समूहों द्वारा किए गए हमलों और जवाबी हमलों में महिलाओं सहित कम से कम 50 से 55 लोग मारे गए हैं।

कुलदीप सिंह ने इंफाल में मीडिया से कहा, इन हमलों में 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं। 3 मई से अब तक हुए इन हमलों में 500 से अधिक घरों, बड़ी संख्या में वाहनों, दुकानों और अन्य संपत्तियों को या तो जला दिया गया या क्षतिग्रस्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि विभिन्न जिलों में 23 पुलिस थानों को सबसे संवेदनशील के रूप में चिन्हित किया गया है और इन क्षेत्रों में सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को पर्याप्त रूप से तैनात किया गया है। सिंह ने कहा कि सेना और असम राइफल्स का फ्लैग मार्च छह से अधिक जिलों में जारी है, खासकर सबसे अशांत चुराचांदपुर जिले में।

मणिपुर में व्याप्त अशांति को देखते हुए केंद्र सरकार ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पहले ही राज्य में धारा 355 लागू कर दी है। अनुच्छेद 355 संविधान में निहित आपातकालीन प्रावधानों का हिस्सा है जो केंद्र को आंतरिक गड़बड़ी या बाहरी आक्रमण के खिलाफ राज्य की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का अधिकार देता है। ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा 3 मई को बुलाए गए 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के बाद विभिन्न स्थानों पर अभूतपूर्व हिंसक झड़पें, हमले और आगजनी की घटनाएं शुरू हो गईं, जिसने देखते ही देखते पूरे मणिपुर को अपनी चपेट में ले लिया।

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