बंगाल में भूस्खलन-बाढ़ से मरने वालों की संख्या 28 हुई, बचाव कार्य जारी, कई लोग अब भी लापता
आपदा प्रबंधन कर्मियों ने सोमवार को भी बचाव अभियान जारी रखा क्योंकि कई लोग अब भी लापता हैं और सैंकड़ों पर्यटक पहाड़ी इलाकों में फंसे हुए हैं। स्थिति अत्यंत चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। हमें अभी तक की रिपोर्ट मिली है कि 28 लोगों की मौत हो चुकी है।

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में हुए विनाशकारी भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 28 हो गई है। आपदा प्रबंधन कर्मियों ने सोमवार को भी बचाव अभियान जारी रखा क्योंकि कई लोग अब भी लापता हैं और सैंकड़ों पर्यटक पहाड़ी इलाकों में फंसे हुए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उत्तर बंगाल विकास मंत्री उदयन गुहा ने कहा कि मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
उन्होंने कहा, "स्थिति अत्यंत चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। हमें अभी तक की रिपोर्ट मिली है कि 28 लोगों की मौत हो चुकी है। रात भर में कुछ और शव निकाले गए हैं। ये मौतें दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी दोनों जिलों में हुई हैं। लगातार हो रही बारिश से बचाव अभियान में बाधा आ रही है।"
उत्तर बंगाल के सबसे बड़े शहर सिलीगुड़ी रवाना होने से पहले ख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए इस बाढ़ और उससे हुई तबाही को "मानव निर्मित" करार दिया।
उन्होंने बाढ़ और भूस्खलन में जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए पांच-पांच लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की। इसके अलावा उन्होंने पीड़ित परिवारों के एक सदस्य को होम गार्ड की नौकरी देने की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने कहा, "हमें अब तक उत्तर बंगाल में आई बाढ़ में 23 लोगों के मारे जाने की सूचना मिली है। इस क्षेत्र में शनिवार रात और रविवार तड़के 12 घंटे से अधिक समय में 300 मिमी से अधिक बारिश हुई।"
उन्होंने बताया कि सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में दार्जिलिंग के मिरिक, सुखियापोखरी और जोरेबंगलो तथा जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के नेतृत्व में बचाव अभियान जारी है तथा मलबे के नीचे फंसे लोगों का पता लगाने के लिए भारी मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
एक अधिकारी ने कहा, "40 से ज्यादा भूस्खलन स्थलों पर मलबा हटाने का काम जारी है। हमारी टीमें मिरिक-दार्जिलिंग और सुखियापोखरी सड़कों पर यातायात बहाल करने के लिए दिन-रात काम कर रही हैं।"
एक अधिकारी ने बताया कि जिला प्रशासन ने गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन (जीटीए) और स्थानीय गैर सरकारी संगठनों के साथ समन्वय करके राहत शिविर स्थापित किए हैं।
उन्होंने कहा, "सभी विस्थापित परिवारों को भोजन, कंबल, दवाइयां और पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।"
दार्जिलिंग पहाड़ियों का प्रशासन करने वाली अर्ध-स्वायत्त संस्था जीटीए के एक अधिकारी ने कहा कि आपदा के 24 घंटे बाद भी कई बस्तियों से सड़क संपर्क टूटा हुआ है।
उन्होंने कहा, "ढलानें धंस गई हैं, पुल बह गए हैं और सड़कों का बड़ा हिस्सा कीचड़ में दब गया है। कुछ अंदरूनी गांवों तक पहुंचने के लिए हेलीकॉप्टर की जरूरत पड़ सकती है।"
सिलीगुड़ी जाने वाली मुख्य सड़कें अवरुद्ध होने से दुर्गा पूजा की छुट्टियों के लिए पहाड़ों पर गए सैकड़ों पर्यटक फंसे हुए हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि वैकल्पिक मार्गों से उन्हें समूहों में सिलीगुड़ी पहुंचने में मदद करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार सुबह तक क्षेत्र में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है तथा दार्जिलिंग, कलिम्पोंग, जलपाईगुड़ी और कूचबिहार जिलों के लिए अलर्ट जारी किया गया है। उन्होंने कहा, "संतृप्त मिट्टी और लगातार हो रही बारिश को देखते हुए, फिर से भूस्खलन का खतरा बना हुआ है।"
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