झारखंड विधानसभा-HC भवन निर्माण में धांधली! CM हेमंत ने जांच के दिए आदेश, BJP शासन में हुआ था भवनों का निर्माण

जांच के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की स्वीकृति के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री सचिवालय ने आदेश जारी कर दिया है। बता दें, इन भवनों का निर्माण पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में हुआ था।

फोटो: IANS
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आईएएनएस

झारखंड सरकार ने विधानसभा भवन एवं हाईकोर्ट के भवन के निर्माण में हुई अनियमितताओं की जांच न्यायिक आयोग से कराने का फैसला किया है। जांच के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की स्वीकृति के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री सचिवालय ने आदेश जारी कर दिया है। सनद रहे कि इन भवनों का निर्माण पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में हुआ था। इसके पहले बीते वर्ष जुलाई में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर इन दोनों भवनों के निर्माण में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो को सौंपी गयी थी। अब इन्हीं मामलों की जांच न्यायिक कमीशन से कराने का निर्णय लिया गया है।

झारखंड विधानसभा के भवन का निर्माण 465 करोड़ की लागत से किया गया है, जबकि झारखंड हाईकोर्ट के भवन परिसर का निर्माण जारी है और इसकी लागत 697 करोड़ रुपये निर्धारित है। इन दोनों भवनों के निर्माण के लिए शुरूआत में जो एस्टीमेट तय किया था, उसमें बाद में भारी वृद्धि कर दी गयी। आरोप है कि बगैर आवश्यक मंजूरी के एस्टीमेट बढ़ाकर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गयी है। एस्टीमेट बढ़ाये जाने से लेकर निर्माण में गड़बड़ियों को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं।

रांची में एचईसी के पास कूटे नामक इलाके में झारखंड की नयी विधानसभा बनाने के लिए जो डीपीआर बनायी गयी थी, उसमें इसकी लागत 465 करोड़ तय की गयी थी।लेकिन टेंडर के समय लागत 465 करोड़ से घटाकर 323.03 करोड़ तय की गयी। टेंडर जब फाइनल किया गया तो सबसे कम रेट क्वोट करनेवाले रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को 290.72 करोड़ रुपये की लागत पर यह काम सौंप दिया गया। काम शुरू हुआ तो वास्तु दोष बताते हुए साइट प्लान का ड्राइंग बदला गया और इससे निर्माण क्षेत्र 19,943 वर्ग मीटर बढ़ गया। बढ़े हुए क्षेत्रफल में निर्माण के लिए टेंडर राशि में 136 करोड़ की बढ़ोतरी कर दी गयी। आरोप है कि लागत में वृद्धि और क्षेत्रफल विस्तार के लिए आवश्यक मंजूरी नहीं ली गयी।

विधानसभा की प्राक्कलन समिति ने इसके निर्माण में गड़बड़ियों की जांच की थी और अपनी रिपोर्ट में बताया था कि निर्माण कार्य मानकों के अनुरूप नहीं है। भवन का फाल्स सिलिंग तीन गिर चुका है। दिसंबर, 2019 में भवन के पिछले हिस्से में आग लग गयी थी। इससे काफी नुकसान हुआ था।

इसी तरह धुर्वा स्थित झारखंड हाई कोर्ट के नये भवन निर्माण में अधिकारियों और संवेदक रामकृपाल कंस्ट्रक्शन लिमिटेड की मिलीभगत से वित्तीय अनियमितताएं का आरोप है। इस मामले में सरकार की ओर से बनाई गई पांच सदस्यीय कमेटी ने भी वित्तीय अनियमितता पर मुहर लगाईथी। शुरूआत में हाई कोर्ट भवन के निर्माण के लिए 365 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी। बाद में 100 करोड़ घटाकर संवेदक रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को 265 करोड़ में टेंडर दे दिया गया। इसके बाद बिना किसी अनुमति के लागत बढ़कर लगभग 697 करोड़ रुपये कर दी गई है। बढ़ी राशि के लिए न तो सरकार से अनुमति नहीं ली गई और न ही नया टेंडर जारी किया गया।

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