दिल्ली: सीलिंग के विरोध में शहर की लाखों दुकानें बंद, रामलीला मैदान में व्यापारियों की महारैली
दिल्ली में सीलिंग के विरोध में बाजार बंद हैं। बंद को 2 हजार से ज्यादा व्यापारिक संगठनों के साथ 20 औद्योगिक क्षेत्र और 20 हजार ट्रांसपोर्टर्स ने समर्थन दिया है।
सीलिंग के विरोध में आज दिल्ली बंद है। बताया जा रहा है कि व्यापारी संगठन चैम्बर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के आह्वान पर शहर की करीब 8 लाख दुकानें बंद हैं। बंद को सभी राजनैतिक पार्टियों के व्यापार संगठनों के साथ 2 हजार से ज्यादा व्यापारिक संगठनों ने समर्थन दिया है। इसके अलावा 20 औद्योगिक क्षेत्र और 20 हजार ट्रांसपोर्टर्स ने भी बंद का समर्थन किया है।
शहर में बंद का खासा असर देखा जा रहा है। चांदनी चौक, सदर बाजार, चावड़ी बाजार, लक्ष्मी नगर, शाहदरा, कृष्णा नगर, जनकपुरी और मॉडल टाउन समेत दिल्ली के तमाम छोटे बड़े बाजार बंद हैं।
दिल्ली के रामलीला मैदान में व्यापारियों ने एक विशाल रैली का आयोजन किया है, जिसमें व्यापारी धीरे-धीरे पहुंच रहे हैं। रैली में 1 लाख लोगों के जुटने की संभावना है। इससे पहले भी व्यापारी कई बार सीलिंग के विरोध में दिल्ली बंद कर चुके हैं, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। व्यापारी लगातार सीलिंग का विरोध कर रहे हैं। दिल्ली सरकार अब तक सीलिंग पर रोक लगाने का कोई रास्ता नहीं निकाल पाई है। आलम यह है कि पिछले 3 महीने में शहर की 4 हजार से ज्यादा दुकानें सील हो चुकी हैं। व्यापारियों का कहना है कि इस परेशानी का हल सिर्फ केंद्र सरकार के पास है। व्यापारियों की मांग है कि केंद्र सरकार तुरंत एक बिल या अध्यादेश लाकर सीलिंग की कार्रवाई पर रोक लगाए।
सीलिंग पर रोक लगाने के लिए दिल्ली सरकार सर्वदलीय बैठक के साथ कई कोशिशें कर चुकी है, लेकिन अब तक उसके हाथ कोई सफलता नहीं लगी है। शहर की 351 सड़कों को सीलिंग से बचाने के लिए दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की है। विपक्ष की मांग पर इस मामले की पैरवी के लिए दिल्ली सरकार ने दो बड़े वकील सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किए हैं। इस मामले में पराग त्रिपाठी और अरविंद दत्तर दिल्ली सरकार के वकील हैं।
दिल्ली में सीलिंग क्यों की जा रही है?
मास्टर प्लान 2021 के तहत दिल्ली के रिहायशी इलाकों में कमर्शियल दुकानों पर रोक का प्रावधान है। व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आवासीय संपत्तियों का इस्तेमाल करने वाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीलिंग अभियान चलाया जा रहा है।
दिल्ली में साल 2006 में सीलिंग शुरू हुई थी। शहर के कई इलाकों में अवैध निर्माण की शिकायतों के बाद 2005 में हाईकोर्ट ने कार्रवाई के आदेश दिए थे। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में अवैध निर्माण की सीलिंग के आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2006 में कई इलाकों में सीलिंग की गई। सीलिंग के दौरान काफी हंगामा हुआ। इस दौरान पुलिस और लोगों में हुई झड़प में कई लोगों की जानें भी गई थीं। सीलिंग का बढ़ता विरोध देख तत्कालीन सरकार ने 2006 में दुकानों या कमर्शियल प्रॉपर्टी को सीलिंग से बचाने के लिए कन्वर्जन चार्ज का प्रावधान किया और कोर्ट ने कुछ वक्त के लिए सीलिंग पर रोक दी।
सीलिंग का मामला एक बार फिर उठा है। इस बार सुप्रीम कोर्ट ने उन दुकानों या प्रॉपर्टी को सील करने का आदेश दिया है जो व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आवासीय संपत्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। साथ ही कोर्ट ने एक मॉनिटरिंग कमेटी का भी गठन किया। इसी मॉनिटरिंग कमेटी की देख-रेख में व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आवासीय संपत्तियों का इस्तेमाल करने वाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ सीलिंग अभियान चलाया जा रहा है, जिसका व्यापारी विरोध कर रहे हैं।
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