मंदी की मार झेल रहे दिल्ली के कारोबारी फायर ब्रिगेड के नए नोटिस से परेशान, बजट होटलों पर सबसे ज्यादा मार

कोरोना काल में संकट से जूझ रहे दिल्ली के कारोबारियों पर दिल्ली फायर सर्विस के नोटिस गाज बनकर गिरे हैं। कारोबारियों का कहना है कि पहले से ही मुश्किलों से दोचार दिल्ली के बजट होटल व्यवसाय पर इससे अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

फोटो : सोशल मीडिया
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आईएएनएस

देशभर के होटल और टूरिज्म कारोबारी जहां कोरोना के कारण पैदा मंदी की मार झेल रहे हैं। वहीं दिल्ली के होटल कारोबारी भी खासे परेशान हैं। दिल्ली के होटल कारोबारी अग्निशमन विभाग के एक अनापत्ति प्रमाण पत्र के चलते होटल सील किए जाने की चिंता से ग्रस्त हैं। दरअसल होटल में अग्निशमन के इंतजामों को लेकर दिल्ली का दमकल विभाग इन दिनों दिल्ली के होटलों को नोटिस जारी कर रहा है। अग्निशमन विभाग के अनापत्ति प्रमाण पत्र के तहत होटलों में आग से बचाव के इंतजाम न करने पर नोटिस जारी किए जा रहे हैं।

दिल्ली के होटल कारोबारियों के मुताबिक इस कोरोना में जहां कारोबार पहले से ही बिल्कुल ठप पड़ा है, ऐसी स्थिति में 8-10 लाख रुपये के खर्च से सुरक्षा के इंतजाम करना मुश्किल हो रहा है। होटल कारोबारी इस बात से हैरान हैं कि जिन होटलों के पास पहले से एनओसी है। अब उन्हें भी नोटिस दिया जा रहा है। होटलों को ये नोटिस नगर निगम के माध्यम से भेजे जा रहे हैं।


दिल्ली होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप खंडेलवाल ने कहा, "दिल्ली में करीब 90 फीसदी होटल इस नए आदेश के दायरे में हैं। दिल्ली में करीब 3000 हजार बजट होटल हैं। लॉकडाउन और दिल्ली में कोरोना की स्थिति के कारण होटल आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। उधर अग्निशमन विभाग द्वारा भेजे नोटिस से होटल मालिकों के लिए स्थिति और अधिक विकट हो गई है। हमने इस मामले में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की है।"

होटल व्यवसाय से जुड़े संस्था के प्रतिनिधियों ने कहा, "इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार ने आश्वस्त किया था कि 15 मीटर तक की ऊंचाई तक वाले छोटे बजट वाले होटलों को, अग्निशमन विभाग के नए कानून से राहत मिलेगी। हालांकि अब सभी होटलों को यह नोटिस भेजा जा रहा है।"

होटल व्यवसायियों के मुताबिक तय किए गए मानकों के अनुरूप होटलों को मोनो आक्साइड डिक्टेट, स्प्रिंकल व फायर चेक डोर अनिवार्य रूप से लगाना होगा, जो काफी महंगे हैं। इनका खर्च तकरीबन 10 लाख रुपये तक है। साथ ही उतनी जगह का न होना और तोड़फोड़ की अलग दिक्कतें हैं। क्योंकि कई होटल काफी पुराने हैं। करोल बाग के एक होटल कारोबारी दीपेश अग्रवाल ने कहा कि, "हमारे होटलों के लिए जो सख्त नियम तय किए गए हैं, वैसे नियम देश के किसी अन्य शहर के होटलों के लिए नहीं हैं।"

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Published: 30 Nov 2020, 8:52 PM