दिल्ली चुनाव: देवेंद्र यादव को बादली सीट से जीत की उम्मीद, आप की छवि पर सवाल, बीजेपी का फोकस ध्रुवीकरण पर
कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव बादली विधानसभा सीट पर मजबूत उम्मीदवार के रूप में उभर रहे हैं। अल्पसंख्यक मतदाता कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच असमंजस में हैं, लेकिन कांग्रेस का समर्थन बढ़ रहा है।

दिल्ली की 70 सीटों में से हर सीट का अपना महत्व है और हर पार्टी और उसका उम्मीदवार हर सीट पर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए जोर लगा रहा है, लेकिन बादली विधानसभा सीट इसलिए चर्चा में है क्योंकि यहां से दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र फडणवीस चुनाव मैदान में हैं। फिलहाल यहां मुकाबला त्रिकोणीय बताया जा रहा है, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस के देवेंद्र यादव लोगों से मिल रहे हैं और कार्यकर्ताओं के साथ जनसंपर्क कर रहे हैं, उन्हें लोगों का समर्थन भी मिल रहा है। इस नजरिए से देखें तो इस सीट पर उनका पलड़ा भारी नजर आता है।
इस विधानसभा सीट पर जहां कांग्रेस के झंडे बैनर हर तरफ हैं, तो वहीं आम आदमी पार्टी के झंडे भी हैं। वहीं बीजेपी ध्रुवीकरण के आधार पर समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रही है, और यही कारण है कि पिछले साल की तरह इस बार भी जहांगीर पुरी की गलियों में बीजेपी के पार्टी वाले झंडे नहीं, बल्कि भगवा झंडे नजर आ रहे हैं। इन गलियों में कहीं-कहीं आम आदमी पार्टी के झंडे नजर आते हैं।
इस इलाके की गलियों में राजनीतिक दलों का प्रचार करते ई-रिक्शा घूमते नजर आ रहे हैं जिनमें कांग्रेस के ई-रिक्शा ज्यादा तादाद में दिखते हैं। इसके अलावा चंद्रशेखर आजाद की पार्टी, आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के प्रचार रिक्शे भी कहीं-कहीं नजर आ जाते हैं। लेकिन हैरत है कि घंटों इस क्षेत्र में गुजारने के बाद भी इस संवाददाता को बीजेपी का एक भी प्रचार ई-रिक्शा नजर नहीं आया।
अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि इस क्षेत्र में अगर कोई सबसे ज्यादा चिंतित है तो वह इस निर्वाचन क्षेत्र का अल्पसंख्यक समुदाय है। इस चिंता का कारण पूछे जाने पर वे कहते हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय को कांग्रेस की राजनीति पसंद है, कांग्रेस के उम्मीदवार भी पसंद हैं, लेकिन उन्हें बीजेपी के सत्ता में आने का डर है। वे आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अजेश यादव को वोट देने पर विचार कर रहे हैं। लेकिन जब उन्हें याद आता है कि केजरीवाल सरकार ने कोविड महामारी फैलाने के लिए तब्लीगी जमात और निजामुद्दीन मरकज़ को जिम्मेदार ठहराया था, और उत्तर-पूर्व क्षेत्र में हुए दंगों पर खामोश रहे थे, सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन के प्रति भी नकारात्मक रवैया अपनाया तो वे दोबारा कहते हैं कि ऐसी पार्टी से दूर रहना ही बेहतर है। मतदान में अभी तीन दिन बाकी हैं लेकिन इस सीट पर फिलहाल अल्पसंख्यकों का रुझान कांग्रेस की तरफ मजबूत होने लगा है।
इस विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं की बात करें तो यहां के निवासियों के लिए सड़कें और सीवर महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिसके लिए लोग सत्तारूढ़ दोनों राजनीतिक दलों को जिम्मेदार मानते हैं और शीला सरकार और देवेंद्र यादव द्वारा किए गए कार्यों को याद करते हैं। कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र यादव न केवल अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं, बल्कि वे दावा करते हैं कि इस बार दिल्ली में कांग्रेस की सरकार बनेगी।
इस बार आम आदमी पार्टी ने अपने मौजूदा विधायक अजेश यादव फिर से मैदान में उतारा है, जबकि बीजेपी ने दीपक चौधरी पर दांव खेला है। दीपक चौधरी डूसू (दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ) चुनाव भी जीते थे और उनकी पत्नी पार्षद हैं। हालांकि, दो बार के कांग्रेस विधायक और दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव सबसे मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं। इस इलाके से बीएसपी ने रविंदर कुमार और चंद्रशेखर आजाद की पार्टी ने अरुण कुमार को उतारा है।
गौरतलब है कि इस विधानसभा सीट से बीजेपी ने तीन बार जीत हासिल की है। बीजेपी के जयभगवान अग्रवाल यहां से तीन बार विधायक रहे। उनके अलावा कांग्रेस के देवेंद्र यादव और आम आदमी पार्टी के अजेश यादव दो-दो बार कामयाब हुए हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अजेश यादव ने यहां 29,094 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी। उन्हें 49.65 प्रतिशत वोट के साथ 69,427 वोट मिले थे। उन्होंने बीजेपी के विजय कुमार भगत को हराया था, जिन्हें 40,333 वोट या 28.84% वोट मिले। कांग्रेस उम्मीदवार देवेन्द्र यादव 27,483 वोट या 19.65% के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।
अजेश यादव ने 2015 का विधानसभा चुनाव भी यहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में लड़ा था और 35,376 वोटों या 24.98% के अंतर से जीत हासिल की थी। उन्हें 51.14 प्रतिशत वोट के साथ 72,795 वोट मिले। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार देवेन्द्र यादव को हराया, जिन्हें 37,419 वोट या 26.29% वोट मिले। बीजेपी उम्मीदवार राजेश यादव 28,238 वोट या 19.84% के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।
अब देखना यह है कि इस विधानसभा क्षेत्र में ऊंट किस करवट बैठता है, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुकाबला त्रिकोणीय है और कहीं न कहीं अजेश यादव और उनकी आम आदमी पार्टी की छवि सवालों के घेरे में है जबकि कांग्रेस के देवेंद्र यादव के दौर में यहां हुए काम और उनकी मिलनसार और सबके काम आने वाली छवि भी है। इसके अलावा बीजेपी ने की पूरी रणनीति ही धार्मिक ध्रुवीकरण पर टिकी हुई है।
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