दिल्ली सरकार ने कोरोना जांच में कमी को स्वीकारा, अपने ही लगाए लॉकडाउन को बताया कारण

दिल्ली सरकार ने यह भी कहा कि कोरोना वैक्सीनेशन के लिए केंद्र सरकार ने ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य किया है, जो सही नहीं है। सभी लोगों के पास न तो स्मार्टफोन हैं, न ही सभी को अंग्रेजी आती है। इसीलिए वैक्सीन लगाने का तरीका और जिम्मेदारी राज्यों को दी जानी चाहिए।

फाइल फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली में लॉकडाउन की वजह से कोरोना के प्रतिदिन होने वाले टेस्ट में कुछ कमी आई है। पहले एक लाख से अधिक कोरोना टेस्ट रोज हो रहे थे। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण अब अधिक लोग बाहर नहीं निकल रहे, इसलिए दिल्ली में अब प्रतिदिन लगभग 70 से 80 हजार कोरोना टेस्ट हो रहे हैं।

दिल्ली सरकार का यह भी कहना है कि कोरोना वैक्सीनेशन के लिए केंद्र सरकार ने ऑनलाइन अपॉइंटमेंट अनिवार्य किया है। यह प्रक्रिया सही नहीं है। सभी लोगों के पास न तो स्मार्टफोन हैं, न ही सभी को अंग्रेजी आती है। इसीलिए वैक्सीन लगाने का तरीका और जिम्मेदारी राज्यों को दी जानी चाहिए। जैन ने कहा कि कई लोग झुग्गी बस्तियों में रहते हैं, जिनमें से कई लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं। अधिकांश लोगों को अंग्रेजी नहीं आती, जिसकके चलते वे वैक्सीन लगवाने के लिए ऑनलाइन अपॉइंटमेंट नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे लोगों की सुविधा और सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।


दिल्ली सरकार का कहना है कि फिलहाल दिल्ली में वैक्सीन की कमी की वजह से हमें 100 से अधिक वैक्सीनेशन सेंटर बंद करने पड़े हैं। दिल्ली में अभी कोरोना रोगियों की संख्या में कमी आई है, जिससे हालात बेहतर हुए हैं और अस्पतालों में फिलहाल ऑक्सीजन की कमी नहीं है। मरीजों के घटने से अब अस्पतालों में ऑक्सीजन की डिमांड भी कम हो गई है। जहां दिल्ली सरकार पहले रोज 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग कर रही थी, वहीं अब यह 582 मीट्रिक टन हो गई है।

दिल्ली सरकार ने इस संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि दिल्ली को यदि 582 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिले तो उससे दिल्ली का काम चल जाएगा। राज्य सरकार के मुताबिक यदि दिल्ली को इससे ज्यादा की सप्लाई की जा रही है तो वह अतिरिक्त सप्लाई अन्य जरूरतमंद राज्यों को दे दी जाए, ताकि वहां कोरोना रोगियों का उपचार किया जा सके।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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