कोरोना के हालात समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं, वैक्सीन बरबाद करने के बजाए सभी को लगाएं – दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में बढ़ते कोरोना मामलों और वैक्सीनेशन में लापरवाही को लेकर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि ‘हालत समझने के लिए रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं है।’

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों और वैक्सीनेशन के दौरान बरबाद हो रही वैक्सीन पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है। कोर्ट ने कहा है कि, “महामारी लोगों में भेदभाव नहीं करती है, हर किसी को वैक्सीन की जरूरत है।” वैक्सीन की बरबादी पर कोर्ट ने कहा कि यह ‘बैड प्लानिंग’ है यानी अव्यवस्था है। कोर्ट ने कहा कि, “आपको हालात की गंभीरता को समझना चाहिए, यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है।”

गौरतलब है कि बीते 24 घंटों के दौरान देश में कोरोना संक्रमण के करीब 2.60 लाख नए मामले सामने आए हैं वहीं 1761 लोगों की मौत हुई है। यह आंकड़े केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हैं। इस तरह देश में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 1,53,21,089 पहुंच गई है, इनमें से 20,31,977 ऐक्टिव केस हैं। इसके अलावा कोरोना से कुल मौतों का आंकड़ा भी 1,80,530 पहुंच गया है। खबर लिखे जाने तक देश में कुल 12,71,29,113 लोगों को ही वैक्सीन दी गई है।

दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच उन खबरों पर कड़ा रुख अपनाया जिसमें बताया गया है कि देश में रोज 6 फीसदी वैक्सीन बरबाद हो रही है और अब तक 44 लाख डोज बरबाद हो चुकी हैं। इनमें सर्वाधिक खराब स्थिति तमिलनाडु की है।

कोर्ट ने कहा कि “यह बहुत बड़ी बरबादी है। इसे उन लोगों को दो जिन्हें इसकी जरूरत है। जिसे भी दे सकते हैं, प्लीज दीजिए। भले ही वह 16 साल का व्यक्ति हो या 60 साल का, सभी को वैक्सीन की जरूरत है। महामारी लोगों में भेदभाव नहीं करती।” कोर्ट ने कहा कि युवा लोग भी संक्रमण का शिकार हो रहे हैं, और इस बार उनकी संख्या ज्यादा है। कई युवाओं की जान भी गई है।

कोर्ट ने कहा कि अगर वैक्सीन उपलब्ध है तो उन सभी को देना चाहिए जो निर्धारित श्रेणी में आते हैं या नहीं आते।

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