दिल्ली हाईकोर्ट ने मृत्युदंड की NIA की मांग पर यासिन मलिक को भेजा नोटिस, विधि आयोग की सिफारिशें भी मांगी

एक विशेष एनआईए अदालत ने मई 2022 में यासिन मलिक को आतंक के लिए धन मुहैया कराने के 2017 के एक मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत सजा सुनाई थी जो जीवनपर्यंत चलेगी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने मृत्युदंड की NIA की मांग पर यासिन मलिक को भेजा नोटिस
दिल्ली हाईकोर्ट ने मृत्युदंड की NIA की मांग पर यासिन मलिक को भेजा नोटिस
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली हाईकोर्ट ने जम्मू एंड कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के प्रमुख यासिन मलिक को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक याचिका के संबंध में नोटिस भेजा है जिसमें आतंक के लिए धन मुहैया कराने के एक मामले में उसे मृत्युदंड देने की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने यासिन की मौत की सजा पर विधि आयोग की सिफारिशें भी मांगी हैं। एनआईए के लिए अपील करते हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि यह दुर्लभतम मामला था। विस्तृत आदेश की प्रति की प्रतीक्षा है।

एक विशेष एनआईए अदालत ने मई 2022 में यासिन मलिक को आतंक के लिए धन मुहैया कराने के 2017 के एक मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत सजा सुनाई थी जो जीवनपर्यंत चलेगी। पिछले साल पटियाला हाउस कोर्ट में कड़ी सुरक्षा के बीच टेरर फंडिंग मामले में सजा सुनाई गई थी।


पिछले साल निचली अदालत में सुनवाई के दौरान यासिन मलिक ने कहा था कि मैं किसी भी चीज की भीख नहीं मांगूंगा। मामला इस अदालत के समक्ष है और मैं इसका फैसला अदालत पर छोड़ता हूं। उसने अदालत से कहा था, अगर मैं 28 साल में किसी आतंकवादी गतिविधि या हिंसा में शामिल रहा हूं, अगर भारतीय खुफिया तंत्र इसे साबित करता है, तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा। मैं फांसी स्वीकार कर लूंगा, सात प्रधानमंत्रियों के साथ मैंने काम किया है।

एनआईए ने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया था कि कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन के लिए आरोपी यासिन मलिक जिम्मेदार है। जांच एजेंसी ने मलिक के लिए मौत की सजा का भी तर्क दिया था। दूसरी ओर न्यायमित्र ने मामले में न्यूनतम सजा के तौर पर आजीवन कारावास की मांग की थी।


मलिक ने पहले इस मामले में अपना गुनाह कबूल कर लिया था। सुनवाई में उसने अदालत को बताया था कि वह धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और 20 (यूएपीए के एक आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (राजद्रोह) के तहत उसके ऊपर लगाए गए आरोपों को चुनौती नहीं देगा।

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