सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, महामारी में जारी रखने पर उठे सवाल

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नया संसद भवन, प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति आवास के अलावा कई सरकारी इमारतें राजपथ और इंडिया गेट के आसपास बन रही हैं। पर कोरोना संकट के इस दौर के बीच इसे जारी रखने पर सवाल उठ रहे हैं और विपक्षी दल भी इसे लेकर हमलावर बने हुए हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कोरोना वायरस महामारी के बीच सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना (सेंट्रल विस्टा एवेन्यू रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट) के निर्माण को रोकने की मांग वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि वे केवल निर्माण स्थल पर श्रमिकों की सुरक्षा में रुचि रखते हैं।

वहीं सुनवाई के दौरान भारत सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस याचिका का विरोध किया और कहा कि यह याचिका किसी न किसी की कमी को छिपाने के लिए डाली गई है। तीन घंटे की लंबी सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

याचिकाकर्ताओं ने उस समय प्रोजेक्ट के निर्माण गतिविधियों को आवश्यक सेवाएं करार देने पर सवाल उठाया है, जब दिल्ली में कोरोना के कारण कर्फ्यू लागू है। सुनवाई के दौरान लूथरा ने दलील पेश करते हुए कहा कि यहां कर्फ्यू लगाया गया है और सब कुछ बंद करना पड़ा। लेकिन हमें अचानक बहुत ही आकर्षक चीज देखने को मिलती है कि एक पत्र लिखा जाता है, जिसमें काम की कड़ी समयरेखा को देखते हुए शापूरजी पल्लोनजी को अनुमति देने की मांग की जाती है।

शापूरजी पल्लोनजी एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने भी, जिसे काम को लेकर निविदा (टेंडर) मिला है, जनहित याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वह निर्माण कर्मचारियों की देखभाल कर रही है। कंपनी का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने प्रस्तुत किया कि ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके तहत काम करने को लेकर एक वर्कर की इच्छा को रिकॉर्ड पर लाना पड़े।


इस पर लूथरा ने दलील दी कि साइट पर चिकित्सा सुविधाओं, परीक्षण केंद्र आदि की उपलब्धता के संबंध में केंद्र की प्रस्तुतियां झूठी हैं। उन्होंने चल रही सेंट्रल विस्टा परियोजना के काम को मौत का केंद्रीय किला करार दिया और इस काम को जल्द से जल्द रुकवाने की अपील की।
वहीं मेहता ने इस परियोजना को लेकर कड़े शब्दों का इस्तेमाल करने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि आलोचना तो ठीक है, लेकिन किसी को परियोजना के बारे में इतना भी विषैला नहीं होना चाहिए। लूथरा ने कहा कि केंद्र ने दावा तो यह किया है कि वर्कर स्वेच्छा से रुके हैं, लेकिन उनकी इच्छा का कोई सबूत रिकॉर्ड में नहीं लाया गया है।

बता दें कि इस मामले को शीर्ष अदालत के सामने भी रखा जा चुका है, मगर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात के मद्देनजर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था कि यह मामला पहले से ही दिल्ली हाईकोर्ट में है। याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना स्थिति और निर्माण कार्य के कारण संक्रमण फैलने की संभावना से उत्पन्न खतरे के कारण निर्माण को रोकने का आग्रह किया था।

दरअसल, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली में नया संसद भवन, प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के आवास के अलावा कई सरकारी इमारतें राजपथ और इंडिया गेट के आसपास बन रही हैं। पर कोरोना महामारी के इस बुरे दौर के बीच सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को जारी रखने पर सवाल उठ रहे हैं और विपक्षी दल भी इसे लेकर हमलावर बने हुए हैं।

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