डूसू चुनाव में धांधली के खिलाफ याचिका पर हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा, 22 नवंबर को होगी सुनवाई

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में धांधली और अध्यक्ष पद पर जीते अंकिव बसोया की फर्जी डिग्री को लेकर दायर याचिका पर मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

डूसू चुनाव में धांधली और अध्यक्ष निर्वाचित हुए एबीवीपी के अंकिव बसोया के फर्जी डिग्री को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने आज फैसला सुरक्षित रख लिया। एनएसयूआई की ओर से दायर इस याचिका में मांग की गई थी कि डूसू अध्यक्ष अंकिव बसोया ने यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए फर्जी डिग्री का इस्तेमाल किया है। ऐसे में यूनिवर्सिटी में दोबारा चुनाव होना चाहिए और बसोया पर जालसाजी का मुकदमा चलाया जाना चाहिए और उसे जेल भेजना चाहिए।

सुनवाई के दौरान एनएसयूआई का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने रविकांत पाटिल बनाम सर्वाभौमा बगाली केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अयोग्यता की तारीख नामांकन की तारीख से तय होगी।

एनएसयूआई का कहना है कि एबीवीपी ने अंकिव बसोया पर फैसला लेने में जानबूझकर देरी की है, ताकि अयोग्यता में देरी का हवाला देते हुए उपाध्यक्ष पद पर जीते उसके उम्मीदवार को अध्यक्ष बनाया जा सके। और इसमें विश्विद्यालय प्रशासन की भी भूमिका है, जिसने अब तक बसोया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।

हालांकि, हाई कोर्ट द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन से अगली सुनवाई पर अब तक हुई कार्रवाई का ब्यौरा पेश करने के लिए कहे जाने पर विश्वविद्यालय ने मंगलवार की शाम को अंकिव बसोया के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज करा दिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के बुद्धिस्ट स्टडीज विभाग के अध्यक्ष केटीएस सराव ने दिल्ली के मौरिस नगर थाने में बसोया के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज कराया है।

इससे पहले 15 नवंबर को एबीवीपी ने बसोया को डूसू अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का आदेश देते हुए फर्जी डिग्री मामले की जांच खत्म होने तक उसे संगठन की सभी जिम्मेदारियों से निलंबित कर दिया था।

बता दें कि एनएसयूआई ने बसोया की स्नातक की डिग्री फर्जी होने का दावा किया था। बसोया की डिग्री के बारे में एनएसयूआई द्वारा मांगी गई जानकारी पर तिरुवल्लुवर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने तमिलनाडु के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को लिखित में जवाब दिया था कि अंकिव बसोया ने उनके यूनिवर्सिटी में कभी दाखिला लिया ही नहीं है और यह डिग्री फर्जी है। रजिस्ट्रार ने साफ लिखा है कि बसोया ने जो सर्टिफिकेट जमा किया है वह फर्जी है। उनकी यूनिवर्सिटी ने ऐसा कोई सर्टिफिकेट जारी ही नहीं किया। अंकिव ने तिरुवल्लुवर यूनिवर्सिटी की ग्रेजुएशन की इसी डिग्री के आधार पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के एमए प्रोग्राम में दाखिला लिया था।

इस साल सितंबर में हुए डूसू चुनाव में 44.66 फीसदी मतदान हुआ था। जिसमें एबीवीपी ने चार पदों में से तीन पर कब्जा जमा लिया था। एनएसयूआई के खाते में सचिव पद आया था।

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