दिल्ली शराब नीति: केजरीवाल के डिप्टी सीएम को CBI ने कल पूछताछ के लिए बुलाया, सिसोदिया बोले- सत्यमेव जयते!

मनीष सिसोदिया ने कहा कि मेरे घर पर 14 घंटे सीबीआई रेड कराई, कुछ नहीं निकला। मेरा बैंक लॉकर तलाशा, उसमें कुछ नहीं निकला। मेरे गांव में इन्हें कुछ नहीं मिला। अब इन्होंने कल 11 बजे मुझे सीबीआई मुख्यालय बुलाया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली शराब नीति मामले में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। इस बीच सिसोदिया को सीबीआई ने तलब किया है। इस बात की जानकारी खुद डिप्टी सीएम ने दी है। सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा, “मेरे घर पर 14 घंटे सीबीआई रेड कराई, कुछ नहीं निकला। मेरा बैंक लॉकर तलाशा, उसमें कुछ नहीं निकला। मेरे गांव में इन्हें कुछ नहीं मिला। अब इन्होंने कल 11 बजे मुझे सीबीआई मुख्यालय बुलाया है। मैं जाऊंगा और पूरा सहयोग करूंगा। सत्यमेव जयते।”

इससे पहले बीती 19 अगस्त को सीबीआई की टीम ने दिल्ली में मनीष सिसोदिया के घर पर छापा मारा था। सिसोदिया के घर के अलावा 7 राज्यों में 21 जगहों पर भी सीबीआई की टीम ने छापेमारी की थी। सीबीआई ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत चार लोकसेवकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद यह छापेमारी की थी।


मनीष सिसोदिया पर आरोप क्या है?

सवाल यह है कि दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया पर आरोप क्या है? आखिर क्यों सीबीआई सिसोदिया पर नकेल कस रही है? बीती जुलाई के महीने में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। सिसोदिया के पास आबकारी विभाग की जिम्मेदारी भी है। उनपर नई आबकारी नीति में भ्रष्टाचार का आरोप है।

सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने नीति में नियमों की अनदेखी कर टेंडर दिए। आरोप है कि केजरीवाल सरकार ने शराब ठेकेदारों को अनुचित तरीके से मुनाफा पहुंचाया। शराब के लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई। इसके अलावा टेंडर देने के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपए माफ किए गए।

मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा था?

मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नई आबकारी नीति के जरिए कोरोना के बहाने लाइसेंस फीस माफ की गई। उन्होंने कहा था कि नई नीति के जरिए राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा है और यह नीति शराब करोबारियों को फायदा पहुंचाने की मंशा से लाई गई। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे रिपोर्ट जमा कर यह बताएं कि नियमों की अनदेखी करते हुए आबकारी नीति को तैयार, लागू और मनमुताबिक बदलाव करने की छूट में किन सरकारी अधिकारियों की भूमिका रही है।

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