दिल्लीः अन्ना नगर में अभी भी कई मकान हादसे की जद में, बारिश से भय में दरारों के बीच जी रहे लोग
रेलवे के जमीन पर बसे अन्ना नगर में पिछले 40-50 सालों से लोग रहते आ रहे हैं। फिलहाल यहां करीब 1200 मकान हैं और तकरीबन 10 हजार लोग रहते हैं। यहां लगभग सभी लोग नौकरियां करते हैं। यहां अधिकतर बंगाल, यूपी, हरियाणा, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश से लोग आकर बसे हुए हैं।

राजधानी दिल्ली में रविवार सुबह हुई भारी बारिश के कारण अन्ना नगर के झुग्गी-बस्ती इलाके में 11 मकानों के ढह जाने के बाद वहां के निवासी काफी भय में जी रहे हैं। दरअसल यहां अभी भी कई मकान ऐसे हैं, जिनकी दीवारों में बुरी तरह दरारें पड़ चुकी हैं और लोगों को डर है कि अगर फिर बारिश हुई तो कम से कम 10 और मकान ढह जाएंगे। नाले के किनारे रह रहे लोगों ने अपने मकान खाली भी कर दिए हैं।
यह झुग्गी बस्ती आईटीओ के पास विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्माणाधीन इमारत के पीछे मौजूद है और बड़े नाले से सटी हुई है। अन्ना नगर में पिछले 40 से 50 सालों से लोग रहते आ रहे हैं। यहां करीब 1200 मकान हैं और करीब 10 हजार लोग रहते हैं। लगभग सभी नौकरियां करते हैं। यहां बंगाल, यूपी, हरियाणा, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश से लोग आकर बसे हुए हैं।
अन्ना नगर में रहने वाली नेहा ने बताया, “मेरा मकान बिल्कुल आधा गिरा हुआ है। सुबह सात बजे से लोग यहां आ रहे हैं, रिपोर्ट बनाकर ले जा रहे हैं, लेकिन किसी ने यह तक नहीं सोचा कि इन्हें खाने को कुछ दे दें। टेंट लगाया हुआ है, जहां कोई सोने की व्यवस्था नहीं, सुबह का नाश्ता अब दोपहर में दे रहे हैं।
अन्ना नगर के प्रधान उप्पू स्वामी ने बताया, कल आई बारिश में यहां के 11 मकान बह गए और 10 ऐसे मकान हैं, जो कभी भी गिर सकते हैं। जिन लोगों के मकान ढह गए, वे सभी लोग फिलहाल सरकार द्वारा लगाए गए टेंट में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि यहां लोग पिछले 40 से 50 सालों से रह रहे हैं।
रेलवे की जमीन पर बसी इस बस्ती के सारे मकान अवैध तरीके से बने हुए हैं। नॉर्थन रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने कहा क कोई व्यक्ति यदि अवैध रूप से रेलवे की जमीन पर कब्ज किये हुए है तो उसपर कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।
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