दिल्ली की हवा फिर हुई जहरीली, दिवाली से पहले बिगड़ी वायु गुणवत्ता, GRAP का पहला चरण लागू
जानकारों का कहना है कि आने वाले 3 महीने दिल्ली के करीब दो करोड़ लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण होंगे। पराली का धुआं, गिरता तापमान, धीमी हवाएं और दिवाली के पटाखे, यह सभी मिलकर दिल्ली की हवा को और जहरीला बना देंगे।

देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ने लगा है। दिवाली से पहले ही हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में पहुंच गई है। करीब 4 महीने बाद दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 200 के पार दर्ज किया गया है, जिससे लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल होने लगा है।
औसत AQI 211 दर्ज
रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को दिल्ली का औसत AQI 211 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ कैटेगरी में आता है। सोमवार को यह 189 यानी ‘मध्यम’ श्रेणी में था। जून के बाद यह पहली बार है जब दिल्ली का प्रदूषण स्तर 200 से ऊपर गया है। मौसम में ठंडक बढ़ने, धूल और धीमी हवाओं की वजह से हवा में प्रदूषक कण तेजी से जमने लगे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले 3 महीने दिल्ली के करीब दो करोड़ लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण होंगे। पराली का धुआं, गिरता तापमान, धीमी हवाएं और दिवाली के पटाखे, यह सभी मिलकर दिल्ली की हवा को और जहरीला बना देंगे।
GRAP का पहला चरण लागू
दिल्ली में वायु प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए कमिश्न फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का पहला चरण लागू कर दिया है। इस चरण के तहत प्रशासन को 27 जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
सड़कों की मशीनों से नियमित सफाई और पानी का छिड़काव।
प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई।
खुले में कचरा और धूल का निस्तारण।
500 वर्गमीटर से बड़े निर्माण स्थलों की जांच और अनरजिस्टर्ड साइट्स को बंद करने का आदेश।
GRAP का पहला चरण कब होता है लागू?
GRAP का पहला चरण तब लागू होता है जब AQI 200 के पार चला जाए। स्टेज 2 तब लागू किया जाता है जब AQI 300 से ऊपर, स्टेज 3 जब 350 से ऊपर और स्टेज 4 तब जब AQI 400 से ज्यादा हो जाता है।
पराली जलाने से बढ़ेंगी मुश्किलें
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। पिछले एक हफ्ते में इन दोनों राज्यों में कुल 70 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें से 31 मंगलवार को हुईं। फिलहाल दिल्ली के प्रदूषण में पराली का योगदान करीब 0.5% है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि नवंबर के पहले सप्ताह तक यह आंकड़ा कई गुना बढ़ सकता है।
स्थानीय प्रदूषण का अहम रोल
CSTEP की एयर क्वालिटी विशेषज्ञ स्वगता डे के मुताबिक, दिल्ली में वाहनों, निर्माण कार्य और कचरा जलाने जैसे स्थानीय स्रोत लगातार प्रदूषण फैला रहे हैं। निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS) की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के प्रदूषण में 19.8 फीदी योगदान वाहनों का, 9.3 फीसदी गुरुग्राम का और 5.1 फीसदी दिल्ली के रिहायशी इलाकों का है।
बदलते मौसम से बढ़ी मुश्किलें
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, मंगलवार को दिल्ली का अधिकतम तापमान 32.6°C और न्यूनतम 19°C रहा, जो सामान्य से एक डिग्री कम है। आने वाले दिनों में हल्की धुंध और ‘शैलो फॉग’ की संभावना जताई गई है। स्काइमेट वेदर के एक्सपर्ट महेश पलावत ने बताया कि आने वाले दिनों में तेज हवाओं या बारिश की कोई संभावना नहीं है, जिससे प्रदूषक कण हवा में ही फंसे रहेंगे और प्रदूषण का स्तर और बढ़ेगा।
पिछले साल के आंकड़े
पिछले साल दिल्ली का AQI 494 (बेहद गंभीर) स्तर तक पहुंच गया था, जो अब तक का दूसरा सबसे खराब स्तर था। 2023 में यह 468 और 2022 में 450 रहा था। हर साल प्रशासन कई कदम उठाता है, लेकिन हालात में बड़ा सुधार नहीं हो पाया है।
आने वाले दिनों में और बढ़ेगी परेशानी
अक्टूबर के आखिर और नवंबर की शुरुआत में पराली जलाने की घटनाएं अपने चरम पर होती हैं। इस दौरान हवा की दिशा उत्तर-पश्चिमी हो जाती है, जिससे पराली का धुआं सीधे दिल्ली की ओर बढ़ता है। विशेषज्ञों के अनुसाक, दिवाली के बाद हवा सबसे ज्यादा जहरीली दर्ज की जाती है।
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