ऑनलाइन जुआ साइटों पर प्रतिबंध लगाने की मांग, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑनलाइन जुआ साइटों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक जनहित याचिका के जवाब में केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार को अपने-अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑनलाइन जुआ साइटों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक जनहित याचिका के जवाब में केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार को अपने-अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने आगे ऐसी वेबसाइटों के अधिकारियों को नोटिस जारी किया, जो कथित तौर पर चीनी नागरिकों के स्वामित्व में हैं, ऑनलाइन जुए में शामिल हैं और निर्दोष जनता से पैसे ठगते हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता शिमला श्री त्रिपाठी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 15 सितंबर तय की है। याचिकाकर्ता के अनुसार, भारत में बड़ी संख्या में ऐसी वेबसाइटें काम कर रही हैं और जुआ खेल जैसे रंग भविष्यवाणी खेल की पेशकश कर रही हैं जिसमें खिलाड़ी को एक निश्चित मात्रा में दांव लगाना होता है और वेबसाइट द्वारा परिणाम घोषित होने से पहले खेल के परिणाम का अनुमान लगाना होता है।


याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि ऐसी वेबसाइटें पहले खिलाड़ियों को आसानी से जीतने देती हैं, लेकिन जब बड़ी संख्या में खिलाड़ी बड़ी संख्या में दांव लगाने लगते हैं, तो वेबसाइट के मालिक परिणामों में हेरफेर करना शुरू कर देते हैं, जिससे अंतत: अधिकांश खिलाड़ी खेल में हार जाते हैं जबकि वेबसाइट मालिकों को अवैध रूप से लाभ होता है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश उनके वकील शशांक श्री त्रिपाठी ने तर्क दिया कि ये वेबसाइटें जुआ पर कर के नाम पर विजेताओं से भारी मात्रा में पैसे भी काटती हैं, यह दावा करते हुए कि सरकार को इसका भुगतान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चीनी नागरिक ऐसी जुआ वेबसाइटों के मालिक हैं। इन वेबसाइटों को आमतौर पर चीनी सर्वरों द्वारा नियंत्रित किया जाता है और धोखाधड़ी की एक योजनाबद्ध योजना बनाई जाती है।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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Published: 17 Aug 2021, 1:20 PM