मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में लाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट 9 मई को करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद तय होगा कि मैरिटल रेप यानी शादी के बाद बिना पत्नी की मंजूरी के शारीरिक संबंध बनाना अपराध है या नहीं।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

मैरिटल रेप को दुष्कर्म के अपराध की दायरे में लाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गई है। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील इंद्रा जय सिंह ने मामले में जल्द सुनवाई की मांग भी की है। कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि वह इस मामले में जल्द अपना जवाब दाखिल करेंगे।बता दें कि सुप्रीम कोर्ट अब 9 मई को मामले की सुनवाई करेगा।

पिछली सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जेनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि इस मुद्दे के सामाजिक प्रभाव होंगे और उन्होंने सभी राज्य से इस मामले पर जानकारी साझा करने के लिए कहा था।


क्या है मैरिटल रेप?

पत्नी की बिना सहमति के अगर पति जबरन उससे शारीरिक संबंध बनाता है तो इसे मैरिटल रेप कहा जाता है। भारतीय दंड संहिता इसे अपराध नहीं मानती है। आईपीसी की धारा 375 में रेप की परिभाषा दी गई है। धारा 375 के अपवाद में कहा गया है कि पति अगर अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध या किसी भी तरह का सेक्सुअल एक्ट करता है तो यह रेप नहीं है। अगर पत्नी की उम्र 15 साल से कम हो तो इसे रेप की श्रेणी में रखा जाएगा। साफ तौर पर मैरिटल रेप का जिक्र आईपीसी में नहीं है।

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