हरियाणा में बीजेपी की रैलियों पर दीपेंद्र हुड्डा का सवाल, क्या कोरोना से मौतों का जश्न मना रही है खट्टर सरकार?

दीपेंद्र हुड्डा ने हरियाणा की बीजेपी सरकार की विफलताएं उजागर करते हुए कहा कि राज्य में कोरोना के मामले सबसे तेज गति से बढ़ रहे हैं, लेकिन खट्टर सरकार इसकी चिंता की जगह राजनीतिक प्रचार में जुटी है। बीजेपी को लोगों के स्वास्थ्य और जान से ज्यादा बरोदा उपचुनाव की चिंता है।

फोटोः सोशल मीडिया
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धीरेन्द्र अवस्थी

कोरोना वायरस से लगातार हो रही मौत, आसमान छूती बेरोजगारी, गहराती मंदी और खेती-किसानी समेत तमाम मसलों पर हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार बुरी तरह घिरती जा रही है। राज्यसभा सांसद और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि कोरोना काल में सरकार आज जनता की जान बचाने की बजाए अपनी कुर्सी बचाने में लगी है।

दीपेंद्र हुड्डा ने सवाल उठाया कि महामारी के दौर में जनता को राम भरोसे छोड़कर आखिर बीजेपी प्रदेश भर में राजनीतिक रैलियां कर किस बात का जश्न मना रही है? उन्होंने पूछा, “क्या कोरोना से लड़ाई खत्म हो चुकी है? या कोरोना के मामलों में तेजी आने का जश्न मनाया जा रहा है? या कोरोना काल में लोगों की जानें और नौकरियां जाने का जश्न मनाया जा रहा है? या प्रदेश में रिकॉर्ड बेरोजगारी का जश्न मनाया जा रहा है? या पूरे देश में सीएम खट्टर के सबसे कम लोकप्रिय मुख्यमंत्री बनने की खुशी मनाई जा रही है?

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने चंडीगढ़ में तथ्यों और आंकड़ों के साथ हरियाणा की बीजेपी सरकार की विफलताएं उजागर कीं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में कोरोना के मामले सबसे तेज गति से बढ़ रहे हैं। सिर्फ 8 दिन में केस डबल हो रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार इसकी चिंता किए बिना राजनीतिक प्रचार में जुटी है। बीजेपी को लोगों के स्वास्थ्य और जान से ज्यादा बरोदा उपचुनाव की चिंता है, इसलिए उसके सांसद और मंत्री कभी बरोदा तो कभी गोहाना में राजनीतिक सभाएं कर रहे हैं। जबकि गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस में साफ कहा गया है कि अभी भीड़ जुटाने वाले सभी सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक आयोजनों पर पाबंदी है।

दीपेंद्र हुड्डा ने सवाल उठाया कि सरकार को अचानक बरोदा की याद कैसे आ गई? पिछले 6 साल में कोई मंत्री या मुख्यमंत्री बरोदा क्यों नहीं आए? क्या बरोदा पहले हरियाणा का हिस्सा नहीं था? उन्होंने कहा कि इस सरकार को ना बरोदा की चिंता पहले थी और ना आज है। महज राजनीति चमकाने के लिए लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है, इसे बरोदा की जनता भी बखूबी समझ रही है।

कांग्रेस नेता ने चेतावनी दी कि बरोदा की जनता बीजेपी को उपचुनाव में मुंह तोड़ जवाब देगी। उन्होंने दावा किया कि इस उपचुनाव से इस सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी। बरोदा ही नहीं पूरे प्रदेश की जनता मानती है कि इस सरकार की विफलताओं की फेहरिस्त इसकी सफलताओं से कहीं ज्यादा बड़ी है। उसको गिनवाने के लिए जनआंदोलन किया जा सकता है, लेकिन संक्रमण के इस दौर में हम कोई ऐसा कदम नहीं उठाएंगे जिससे लोगों की जान से खिलवाड़ हो। उन्होंने सरकार को भी संवेदनशीलता बरतने की सलाह दी।

दीपेंद्र हुड्डा ने चिंता जताई कि हरियाणा के साथ लगते दिल्ली में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं और हरियाणा की तमाम सीमाएं खोल दी गई हैं। जब प्रदेश में दर्जन भर केस थे, तो तमाम सीमाएं सील थीं और आंकड़ा 8 हज़ार को छू रहा है तो आवाजाही सामान्य कर दी गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को इसके लिए कोई नीति बनानी चाहिए, ताकि अन्य राज्यों से संक्रमण हरियाणा की तरफ ना आ पाए।

उन्होंने कहा कि जिस तरह से केंद्रीय गृह मंत्री ने दिल्ली में सक्रियता दिखाई है, उसी तरह हरियाणा पर भी ध्यान देना चाहिए। दिल्ली की तरह हरियाणा में भी टेस्टिंग ट्रिपल और जांच के रेट आधे करने चाहिए। कायदे से तो प्रदेश सरकार को भी इसके लिए केंद्र से खुद ही मांग करनी चाहिए थी, लेकिन लगता है कि सरकार हरियाणा में दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे हालात होने का इंतजार कर रही है। शायद उसे हरियाणा के श्मशान घाटों में भी कतारें लगने का इंतजार है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि 29 फरवरी को हरियाणा सरकार ने 1 लाख 42 हजार करोड़ का बजट पेश किया था, जिसका खर्च अप्रैल से शुरू होना था। 25 मार्च से देश में लॉकडाउन लागू हुआ और आर्थिक गतिविधियां बंद हुईं। लेकिन अप्रैल शुरू होते ही मुख्यमंत्री ने किसानों से 5-5 किलो अनाज और विद्यार्थियों से 5-5 रुपये मांगने शुरू कर दिए। कर्मचारियों की सैलेरी काटी गई, उनके भत्ते खत्म कर दिए गए। आज भी बहुत सारे कर्मचारियों को वक्त पर सैलेरी नहीं मिल रही है।

राज्यसभा सांसद ने पूछा कि क्या महज एक से दो हफ्ते में ही हरियाणा सरकार के 1 लाख 42 हजार करोड़ रुपये खत्म हो गए? क्यों सरकार को कर्ज लेकर कर्मचारियों की सैलेरी देनी पड़ रही है। सरकार बताए कि लोगों से लिया गया करोड़ों का दान, कर्मचारियों के काटे गए भत्ते और सैलेरी, बजट और कर्ज का रुपया कहां खर्च किया? क्योंकि बीजेपी सरकार में कांग्रेस सरकार के मुकाबले 3 गुना कर्ज बढ़ गया है। बावजूद इसके किसी भी वर्ग को कोई राहत नहीं दी गई।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कोरोना से पहले भी प्रदेश में कोई बड़ी परियोजना, बड़ा उद्योग या बड़ा संस्थान स्थापित नहीं हुआ। इसके विपरीत पहले से प्रस्तावित या स्थापित इकाइयां भी हरियाणा से विस्थापित हो गईं। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा कांग्रेस सरकार में मंजूर करवाई गई रेल कोच फैक्टरी, महम और करनाल एयरपोर्ट, रोहतक तक मेट्रो, रैपिड ट्रेन जैसे प्रोजेक्ट् को आगे बढ़ाने के लिए इस सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। केंद्र से मंजूर 1 लाख 57 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट अब तक पूरे नहीं हुए हैं। 56 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट तो बीजेपी सरकार ने कैंसिल ही कर दिए हैं।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि हरियाणा में बेरोजगारी दर 43 प्रतिशत का आंकड़ा छू चुकी है। सीएमआईई ने अप्रैल के जो आंकड़े जारी किए हैं, उनके मुताबिक हरियाणा में रोजगार चाहने वाला लगभग हर दूसरा आदमी बेरोजगार है। बड़े राज्यों में बिहार के बाद ये सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर है। देश की औसत से हरियाणा में दोगुनी बेरोजगारी है। ऐसा नहीं है कि यह आंकड़े सिर्फ कोरोना काल में ही बढ़े हैं। कोरोना से पहले भी हरियाणा में 28 प्रतिशत बेरोजगारी दर थी। कांग्रेस सरकार में यह दर महज 2.8 प्रतिशत थी। प्रदेश सरकार नई नौकरियां देने की बजाए युवाओं को बेरोजगार करने पर तुली है।

दीपेंद्र हुडडा ने कहा कि 1983 पीटीआई शिक्षकों के मुद्दे को सरकार राजनीतिक रंग देना चाहती है, इसलिए वह कर्मचारियों को संरक्षण नहीं दे रही। इनकी नौकरी बचाने के लिए सरकार को अपनी विधायी शक्तियों का इस्तेमाल करना चाहिए। जिस तरह हुड्डा सरकार में गेस्ट टीचर्स को संरक्षण दिया गया, इनेलो के कार्यकाल में टर्मिनेट किए गए 4000 एमआईटीसी को नौकरी दी गई, इनेलो के समय भर्ती घोटाले के 3200 जेबीटी टीचर्स को नौकरी पर रखा गया, उसी तरह से बीजेपी सरकार को भी पीटीआई शिक्षकों को संरक्षण देना चाहिए।

किसानों की समस्याओं का जिक्र करते हुए राज्यसभा सांसद ने कहा कि पहले तो सरकार ने गेहूं और सरसों की खरीद ढंग से नहीं की। फिर पेमेंट के लिए लंबा इंतज़ार करवाया। आज भी गेहूं का 1700 करोड़ रुपये का पेमेंट बाकी है। यही हाल अब मक्का किसानों का हो रहा है। शाहबाद, लाडवा, बबैन, इस्माईलाबाद या आसपास की मंडियों में किसान मक्का लिए बैठे हैं, लेकिन सरकार उनकी खरीद नहीं कर रही है। जबकि खुद सरकार किसानों को सलाह देती है कि वह धान के बजाए मक्का उगाए। जिस मक्केे का एमएसपी 1760 रुपये है, उसके किसानों को सिर्फ 670 रुपये दिए जा रहे हैं। ज्यादातर किसानों को महज 1100 से 1200 रुपये में मक्का बेचना पड़ रहा है।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार किसानों को फसल के उचित रेट देने की बजाय उन पर महंगाई की गाज गिराने में लगी है। उन्होंने कहा कि लगातार दसवें दिन पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी की गई है। दस दिन में पेट्रोल का दाम 5.47 रुपये और डीजल का दाम 5.80 रुपये प्रति लीटर बढ़ा है। आज क्रूड ऑयल 35-40 डॉलर प्रति बैरल है, जो कांग्रेस सरकार में 107 डॉलर था। बावजूद इसके आम जनता को तेल के दामों में कोई राहत नहीं दी गई। हरियाणा में पेट्रोल पर 27.25 प्रतिशत वैट और डीजल पर 17.22 प्रतिशत वैट लगाया हुआ है, जो हुड्डा सरकार के कार्यकाल में महज 9.24 था।

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