राम मंदिर के लिए भक्तों को करना होगा 2-3 साल इंतजार, अभी तो निर्माण शुरू करने में ही लगेंगे 6 महीने

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन के 15 दिनों बाद अयोध्या लौटे इसके अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि पूर्व में राम मंदिर का जो मॉडल बना था और जिसका चित्र करोड़ों घरों में पूजा जाता है, वह भव्य मंदिर साक्षात स्वरूप में दो-तीन साल में आएगा।

फोटोः सोशल मीडिया
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आईएएनएस

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने मंगलवार को कहा कि परिसर को मंदिर निर्माण के अनुकूल बनाने में अभी छह माह लगेंगे। उन्होंने कहा कि भक्त दो-तीन वर्षो में श्रीराम के भव्य मंदिर के दर्शन कर सकेंगे। महंत नृत्य गोपाल दास ने साथ ही कहा कि श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण से पूर्व अधिगृहित परिसर को श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ और सुरम्य बनाया जाएगा, जिसकी प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है।

दिल्ली में ट्रस्ट गठन के 15 दिनों बाद अयोध्या लौटे महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि समाज का कल्याण वही कर सकता है, जिसका व्यक्तित्व जन-जन से जुड़ा हो। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण से पूर्व रामलला को अस्थायी तौर पर परिसर में ही वैदिक विद्वानों की देखरेख मे शिफ्ट किया जाएगा, ताकि भक्तों को भगवान का दर्शन लगातार होता रहे।


एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, "देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मैंने अयोध्या आने हेतु निवेदन किया है। यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह जी को भी संदेश भेजा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक शीघ्र होगी, अभी कार्य को गतिशील किया जा रहा है।" इस दौरान दूसरे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "अयोध्या को भी काशी की भांति विकसित करना चाहिए। यह विश्व की धार्मिक सांस्कृतिक राजधानी है। इसका स्वरूप भी विश्व के लोगों को आकर्षित करने वाला होना चाहिए।"

मंदिर निर्माण पर उन्होंने कहा कि शेष बचे पत्थरों की नक्काशी भी शीघ्र प्रारंभ होगी और ट्रस्ट की अगली बैठक तक इस पर निर्णय होगा। महंत ने कहा कि पूर्व में श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने जिस मंदिर मॉडल को तैयार कराया और जिसे देश के संतों ने वेद मंत्रोच्चारण कर अनुमोदित किया और जिसका चित्र करोड़ों घरों में पूजा जा रहा है, वह भव्य मंदिर दो-तीन वर्षों में साक्षात स्वरूप में आने वाला है।

उन्होंने कहा कि श्रीराम का अवतरण मात्र दशरथ और कौशल्या को सुख प्रदान करने के लिए नहीं, अपितु समस्त मानव के कल्याण के लिए हुआ था। श्रीराम समस्त मानव को परस्पर प्रेम और सद्भाव का संदेश देने वाले हैं।

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